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Prayagraj Sangam में नहीं इस जगह दिखती है सरस्वती नदी, महाकुंभ जाएं तो करें दर्शन

Mystery of the Saraswati River: प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन कहा जाता है कि यहां एक तीसरी नदी सरस्वती भी बहती है। यह नदी अदृश्य मानी जाती है, लेकिन एक खास जगह पर इसका जल देखने का दावा किया जाता है। आइए जानते हैं...
08:30 AM Feb 01, 2025 IST | Ashutosh Ojha
prayagraj sangam में नहीं इस जगह दिखती है सरस्वती नदी  महाकुंभ जाएं तो करें दर्शन
Mahakumbh 2025

Mystery of the Saraswati River: प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का महत्व तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा रहस्यमयी स्थान भी है, जहां मां सरस्वती के जल के प्रत्यक्ष दर्शन किए जा सकते हैं? यह स्थान सरस्वती कूप के नाम से जाना जाता है, जो संगम के पास स्थित है। मान्यता है कि यहां से सरस्वती नदी का प्रवाह शुरू होता है और अदृश्य रूप से संगम में मिल जाता है। लेकिन यह कैसे संभव है? क्या वास्तव में यहां सरस्वती का जल मौजूद है? आइए जानते हैं...

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वैज्ञानिक रिसर्च से साबित हुआ संगम से जुड़ा संबंध

महाकुंभ 2025 के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं, जहां वे पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना कर रहे हैं। लेकिन संगम के पास स्थित एक रहस्यमयी स्थल भी भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह स्थान है सरस्वती कूप, जिसे सरस्वती नदी का गुप्त स्रोत माना जाता है। मान्यता है कि मां सरस्वती का प्रवाह इसी कूप से होता है और यह जल संगम में जाकर मिल जाता है। प्रयागराज किले के भीतर स्थित इस कुएं को वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भी अध्ययन के माध्यम से संगम से जुड़ा पाया है। 2016 में किए गए एक परीक्षण में इस कूप के जल में रंग मिलाकर देखा गया, जिससे सिद्ध हुआ कि यह जल त्रिवेणी संगम में प्रवाहित होता है।

Mystery of the Saraswati River

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सरस्वती कूप से जुड़ी पौराणिक कथा

सरस्वती कूप के प्रमुख पुजारी सुबेदार मेजर राम नारायण पांडे के अनुसार, यह कूप कुएं के आकार का है, इसलिए इसे सरस्वती कूप कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती का उद्गम बद्रीनाथ के पास माणा गांव से होता है, लेकिन एक पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास जब 18 पुराणों की रचना कर रहे थे, तो मां सरस्वती की जलधारा से उत्पन्न ध्वनि के कारण भगवान गणेश को सुनने में कठिनाई हुई। तब भगवान शिव के आदेश पर मां सरस्वती पाताल लोक की ओर प्रवाहित हो गईं। लेकिन जब वे प्रयागराज पहुंचीं, तो भगवान विष्णु के अवतार वेणी माधव ने उन्हें धरातल पर लौटने और संगम में विलीन होने के लिए राजी किया। इसी कारण सरस्वती कूप को अदृश्य सरस्वती का प्रमाण माना जाता है।

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए विशेष अवसर

महाकुंभ के दौरान संगम स्नान करने वाले भक्तों के लिए यह एक विशेष अवसर है कि वे सरस्वती कूप के दर्शन कर मां सरस्वती के अदृश्य प्रवाह को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकते हैं। श्रद्धालु यहां आकर इस पवित्र जल का आचमन करते हैं और इसे अपने जीवन में शुभ मानते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सरस्वती कूप का जल ग्रहण करने से विद्या, बुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। महाकुंभ में आई भीड़ के बीच यह रहस्यमयी स्थल भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां वे मां सरस्वती की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन को पवित्र बना सकते हैं।

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