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त्रिपुंड में किन देवताओं का होता है वास, शरीर में कहां लगा सकते हैं शिव तिलक, जानें यहां सब कुछ

Tripund Tilak: ज्योतिषियों के अनुसार, त्रिपुंड तिलक भगवान शिव का तिलक माना गया है। मान्यता है कि त्रिपुंड तिलक लगाने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि त्रिपुंड तिलक को शिव का तिलक क्यों कहते हैं, त्रिपुंड तिलक में कितने देवताओं का वास होता हैं और उनके नाम क्या हैं। साथ ही शरीर के किन-किन अंगों में त्रिपुंड लगा सकते हैं।
10:28 AM Apr 03, 2024 IST | Raghvendra Tiwari
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Tripund Tilak: सनातन धर्म में त्रिपुंड को महादेव का प्रतीक माना गया है, क्योंकि स्वयं भगवान शिव अपने मस्तक पर त्रिपुंड लगाते हैं। बता दें कि बाकी तिलकों से त्रिपुंड बिल्कुल ही अलग होता है। त्रिपुंड मध्यमा और अनामिका अंगुली से दो रेखा करके बीच में अंगूठे से खींची गई रेखा को त्रिपुंड कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिपुंड चंदन या भस्म का होता है। यही कारण हैं कि शिवलिंग पर भी त्रिपुंड लगाया जाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि त्रिपुंड में कितने देवताओं का वास होता है। साथ ही शरीर के किन-किन अंगों पर त्रिपुंड लगा सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

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त्रिपुंड में किन 27 देवताओं का होता है वास

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रिपुंड में कुल 27 देवी-देवताओं का वास होता है। यूं कहा जाए तो त्रिपुंड के प्रत्येक रेखा में 9 देवता का वास होता है। त्रिपुंड की पहली रेखा में महादेव, पृथ्वी, ऋग्वेद, धर्म, गार्हपत्य, रजोगुण, आकार, प्रातः कालीन हवन और क्रियाशक्ति देव होते हैं। वहीं दूसरी रेखा में इच्छाशक्ति, अंतरात्मा, दक्षिणाग्नि, सत्वगुण, महेश्वर, ऊंकार, आकाश और मध्याह्न हवन देवता विराजमान होते हैं। इसके बाद तीसरी रेखा में शिव, आहवनीय अग्नि, सामवेद, ज्ञानशक्ति, तृतीय हवन स्वर्ग लोक, तमोगुण और परमात्मा का वास होता हैं।

शरीर में कहां-कहां लगा सकते हैं त्रिपुंड

अधिकतर लोग त्रिपुंड या शिव तिलक मस्तक पर लगाते हैं, लेकिन बता दें कि शरीर के 32 अंगों पर त्रिपुंड धारण कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिपुंड शरीर के 32, 16, 8 या 5 स्थानों पर ही लगाने चाहिए। त्रिपुंड शरीर के इन अंगों पर लगा सकते हैं जो निम्न हैं- मस्तक, ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, मुख, कंठ, दोनों नासिका, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, दोनों हाथ, नाभि, हृदय, दोनों पाश्र्वभाव, दोनों अंडकोष, दोनों गुल्फ, दोनों उरु, दोनों पिंडली, दोनों घुटने और दोनों पैर पर लगा सकते हैं। यदि आप त्रिपुंड शरीर के 5 स्थानों पर लगाना चाहते हैं तो वह स्थान मस्तक, दोनों भुजाओं, हृदय और नाभि पर लगा सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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