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Tulsi Vivah 2024: दिवाली के बाद कब है तुलसी विवाह? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और भोग

Tulsi Vivah 2024: हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार तुलसी विवाह दिवाली के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाएगा, लेकिन इस त्योहार के डेट को लेकर भी संशय है। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का क्या महत्व क्या है, इस साल इसे मनाने की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
09:09 PM Oct 25, 2024 IST | Shyam Nandan
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Tulsi Vivah 2024: धन-समृद्धि में वृद्धि, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का महात्योहार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाएगी। इस बार यह 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 1 नवंबर को, इसे लेकर अभी भी लोगों में संशय है। लोगों में यही असमंजस तुलसी विवाह त्योहार को लेकर भी बना हुआ है। संतान पंचाग के अनुसार, तुलसी विवाह त्योहार देवोत्थान एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का क्या महत्व क्या है, इस साल इसे मनाने की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?

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हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय दैत्यों के राज्य जलंधर ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। उसकी पत्नी परम विष्णु भक्त और पतिव्रता स्त्री थी। उसके पतिव्रता होने और तप के कारण जलंधर को हराना असंभव था। तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग कर दिया, जिसके फलस्वरूप जलंधर भगवान शिव के हाथों मारा गया। लेकिन इसके बदले में वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु के इस रूप को ही 'शालिग्राम' कहा जाता है।

कहते हैं, पतिव्रता धर्म भंग होने और अशुद्ध हो जाने के बाद वृंदा ने आत्मदाह कर जीवन खत्म कर लिया। जहां पर उसने आत्मदाह किया था, उस स्थान पर एक तुलसी का पौधा प्रकट हुआ। भगवान विष्णु ने वरदान​ दिया कि तुलसी का विवाह उनके शालिग्राम स्वरूप से होगा और उनकी पूजा में तुलसी के बिना अपूर्ण होगी। इसलिए देवोत्थान एकादशी के अगले दिन शालिग्राम का विवाह वृंदा यानी तुलसी से होता है और यही वजह है कि विष्णु पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल किए जाता है।

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कब है तुलसी विवाह 2024?

सनातन पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 12 नवबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। वहीं इस तथि को समापन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर बाद 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी युक्त द्वादशी तिथि के प्रदोष काल में तुलसी विवाह कराना उत्तम माना जाता है। इसलिए इस साल तुलसी विवाह 12 नवबर की शाम में प्रदोष काल में संपन्न करवाना श्रेष्ठ है।

तुलसी विवाह 2024: पूजा मुहूर्त

इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 12 नवंबर मंगलवार को देवउठनी एकादशी के दिन होगा क्योंकि उस दिन तुलसी विवाह के लिए एकादशी द्वादशी युक्त प्रदोष मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। प्रदोष मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से प्रारंभ होता है। 12 नवंबर को तुलसी विवाह का मुहूर्त शाम 5:29 बजे से लेकर शाम 7:53 बजे तक है। इस अवधि में माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णुरूपी शालिग्राम से कराया जाएगा।

तुलसी विवाह 2024: पूजा विधि

तुलसी विवाह का भोग और प्रसाद

तुलसी विवाह के मौके पर भगवान विष्णु और माता तुलसी को पंचामृत, केसरयुक्त चावल खीर, पूरियां, शादीवाले मोतीचूर लड्डू और गुलाब जामुन का भोग जरूर लगाएं। पूजा के बाद इन सब भोगों को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया सकता है। पंचामृत बनाने के लिए आप आधा कप दूध, आधा कप दही, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच असली शक्कर, 1 चम्मच घी और 5 तुलसी पत्ते को एक शुद्ध पात्र में डालकर अच्छे से फेंट लें। भगवान को भाग लगाने के लिए पंचामृत तैयार है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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