होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

दर्दनाक पर अजीबोगरीब रिवाज... शरीर में छेद कर नाड़ा पिरोकर करते डांस, इंसान बनते हैं बैल

MP Nada Gada Parampara: मध्य प्रदेश में आज भी कई जिले ऐसे हैं, जहां अजीबोगरीब परंपराओं को निभाया जाता है। आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें लोग अपने शरीर में छेद करके नाड़ा पिरोकर डांस करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस परंपरा के बारे में।
08:05 AM Apr 25, 2024 IST | Nidhi Jain
Advertisement

Ajab Gajab Parampara: अमित कोड़ले, जिला बेतु

Advertisement

हिंदू धर्म के लोग आज भी अलग-अलग परंपराएं निभाते हैं। कुछ परंपराएं तो ऐसी भी होती हैं, जिनके बारे में सुनने मात्र से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही प्राचीन परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा।

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के कई इलाकों में सदियों से रोंगटे खड़े करने वाली एक परंपराएं निभाई जा रही है। आठनेर, आमला, मुलताई और भैंसदेही तहसीलों के कई गांवों में आज भी लोग नाड़ा गाड़ा नामक परंपरा निभा रहे हैं। इसके लिए गांव में विशाल कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।

ये भी पढ़ें- अनोखी परंपरा… शादी में प्राइवेट पार्ट की पूजा से लेकर एक दूसरे को गाली देने का है रिवाज! जानें धार्मिक मान्यता

Advertisement

नाड़ा गाड़ा परंपरा का महत्व

हर साल चैत्र महीने में नाड़ा गाड़ा परंपरा को किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार लोग अपने शरीर मे लोहे की नुकीली सुई से नाड़े पिरोकर नृत्य करते हैं। इसी के साथ कई लोग बैल बनकर अपने शरीर से बैलगाड़िया भी खींचते हैं।

गांव के लोगों का मानना है कि जिन लोगों को कोई गंभी बीमारी होती है और अगर वो इस परंपरा को निभाते हैं, तो उन्हें अपने रोगों से छुटकारा मिल जाता है। जब भी किसी व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है, तो वो अपने शरीर मे धागे पिरोकर डांस करते हैं। साथ ही अपने शरीर से बैलगाड़िया खींचते हैं। इस परंपरा को निभाकर वो देवी-देवताओं का आभार व्यक्ति करते हैं कि उन्होंने उनकी मन्नत को पूरा किया है।

हालांकि चिकित्सक इस पूरी परंपरा को सेहत के लिहाज से घातक मानते हैं। लेकिन गांव वालों का मानना है कि उन्हें आज तक इस परंपरा से कोई नुकसान नहीं हुआ है।

क्या है नाड़ा गाड़ा परंपरा?

इसके लिए सूती धागों को बारी-बारी से गूथकर नाड़े तैयार किए जाते हैं, जिन पर सबसे पहले मक्खन का लेप चढ़ाया जाता है। फिर इन्हें लोहे की मोटी सुई की मदद से शरीर में पिरोया जाता है। इसके बाद फिर शरीर पर मक्खन का लेप लगाया जाता है।

ये भी पढ़ें- Chanakya Niti: गधे को न समझें मूर्ख, ये 3 गुण जीवन में दिलाएंगे सफलता!

Open in App
Advertisement
Tags :
ajab gajabHindu Tradition
Advertisement
Advertisement