whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

Vamana Jayanti 2024: मनोकामनाओं को पूरा करने वाला वामन जयंती व्रत आज, जानें महत्व और असली कथा

Vamana Dwadashi Vrat ki Asli Katha: भादो माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने अपना पांचवां अवतार वामन के रूप में लिया था। इस दिन वामन द्वादशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से इंद्र के समान सुख-वैभव की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, क्या वामन द्वादशी व्रत की असली कथा क्या है?
11:23 AM Sep 15, 2024 IST | Shyam Nandan
vamana jayanti 2024  मनोकामनाओं को पूरा करने वाला वामन जयंती व्रत आज  जानें महत्व और असली कथा

Vamana Dwadashi Vrat ki Asli Katha: पुराणों के अनुसार, भादो माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने अपना पांचवां अवतार वामन के रूप में लिया था। द्वादशी तिथि को भगवान वामन का जन्म होने के कारण इन व्रत को वामन द्वादशी भी कहते है और भगवान वामन की जयंती के रूप में मनाते हैं। इस साल भगवान वामन की जयंती 15 सितंबर को आज मनाई जा रही है। दक्षिण भारत की द्रविड़ संस्कृति में इसी तिथि को ओणम त्योहार मनाया जाता है।

वामन अवतार का महत्त्व

वामन अवतार भगवान विष्णु का मनुष्य रूप में पहला अवतार है। यदि भगवान वामन का अवतार न हुआ होता तो धरती पर राक्षसों और दानवों का राज होता है, मनुष्य का नामोनिशान मिट सकता था। मान्यता है कि वामन द्वादशी व्रत के दिन इस व्रत की कथा को पढ़ने और सुनने से इंद्र के समान धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, वामन द्वादशी व्रत की असली कथा क्या है?

ये भी पढ़ें: Mahalaya 2024: महालया क्या है, नवरात्रि से इसका क्या संबंध है? जानें महत्व और जरूरी जानकारियां

वामन द्वादशी व्रत की असली कथा

एक बार दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग सहित तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। स्वर्ग से निष्काषित और पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मां अदिति बहुत दुखी हुईं। उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की।

इससे प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट होकर बोले, “हे देवी! चिंता मत कीजिए। मैं आपके पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया हुआ सम्मान, राज्य और स्वर्ग दिलाऊंगा।” समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से वामन के रूप में अवतार लिया। उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे।

उधर पृथ्वी लोक में अपने गुरु दैत्याचार्य शुक्र के सुझाव पर राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे। यह जानकर भगवान वामन वहां पहुंचे। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बिठाकर उनका सत्कार किया। यज्ञ की समाप्ति होने पर बलि ने उनसे भेंट मांगने के लिए कहा।

इस पर भगवान वामन चुप रहे। लेकिन जब बलि उनके पीछे पड़ गया तो उन्होंने कहा, “हे दानवीर राजन! में दक्षिणा में 3 पग भूमि मांगना चाहता हूं। क्योंकि मेरे पास इतनी भूमि नहीं है कि जहां पर मैं बैठकर भक्ति कर सकूं।”

राजा बलि ने उनसे और अधिक मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया। राजा बलि के संकल्प पूरा होते ही भगवान वामन का आकार बढ़ना शुरू हो गया।

भगवान वामन ने अपना विराट आकार ले लिया। उनके आकार ने अंतरिक्ष के छोर को छू लिया था। उन्होंने अपने दो पग में ही पृथ्वी, आकाश और ब्रह्मांड को नाप लिया था। उन्होंने राजा बलि से पूछा, “हे दानवेंद्र! अब मैं अपना तीसरा पांव कहां रखूं?”

इस पर राजा बलि भगवान वामन को प्रणाम करते हुए कहा, “हे प्रभु! संपत्ति का स्वामी संपत्ति से बड़ा होता है। आप अपना तीसरा पग में मेरे सिर पर रखें।” भगवान वामन ने ऐसा ही किया और राजा बलि के सिर पर पांव रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया।

सब कुछ गंवा चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख भगवान वामन प्रसन्न हो गए। उन्होंने राजा बलि को पाताल का अधिपति बना दिया और तीनों लोकों को उनके भय से मुक्ति दिलाई।

ये भी पढ़ें: Sharad Purnima 2024: चांद की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर? जानें महत्व और नियम

ये भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2024: बिना कथा पढ़े या सुने अधूरा है परिवर्तिनी एकादशी व्रत, जानें असली कथा!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो