Vidur Niti: ब्राह्मण नहीं, ये 10 गुण वाले मनुष्य माने जाते हैं पंडित!

Vidur Niti: महात्मा विदुर एक राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ होने के साथ साथ बहुत बड़े ज्ञानी भी थे। उन्होंने ऐसी कई नीतियों का ज्ञान दिया, जिससे समाज को फायदा हुआ। महात्मा विदुर की इन नीतियों को विदुर नीति के नाम से जाना जाता। इस लेख में हम आपको विदुर की उन नीतियों के बारे में बताएंगे, जिसके अनुसार मनुष्य पंडित कहलाने के योग्य माना जाता है।  

featuredImage
Vidur Niti

Advertisement

Advertisement

Vidur Niti: वैसे तो पौराणिक काल से ही जो मनुष्य जन्म से ब्राह्मण और चारों वेदों का ज्ञान रखता है, उसे ही समाज में पंडित का दर्जा दिया था, परन्तु महाभारत काल में एक पुरुष ऐसे भी हुए, जिन्होंने इस परंपरा को अपनी बुद्धि और तर्क से गलत साबित कर दिया। वे पुरुष और कोई नहीं, बल्कि हस्तिनापुर के मंत्री महात्मा विदुर थे।

महात्मा विदुर एक राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ होने के साथ-साथ बहुत बड़े ज्ञानी भी थे। उन्होंने ऐसी कई नीतियों का ज्ञान दिया, जिससे समाज को फायदा हुआ। महात्मा विदुर की इन नीतियों को विदुर नीति के नाम से जाना जाता। इस लेख में हम आपको विदुर की उन नीतियों के बारे में बताएंगे, जिसके अनुसार कैसा मनुष्य पंडित कहलाने के योग्य माना जाता है?

पंडित होने के लक्षण

01.विदुर कहते हैं जो मनुष्य अपने वास्तविक स्वरुप के ज्ञान, उद्योग, दुःख सहने की शक्ति और धर्म में स्थिरता रखने की

शक्ति जैसे गुणों के बाद भी पुरुषार्थ को नहीं भूलता, वही पंडित कहलाता है।

02.जो अच्छे कर्मों का सेवन करता है और बुरे कर्मों से दूर रहता है, साथ ही जो आस्तिक और श्रद्धालु है, ऐसा मनुष्य भी

पंडित कहलाने के योग्य होता है।

03. जो मनुष्य क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा, उदंडता तथा अपने को पूज्य समझते हुए भी पुरुषार्थ के पथ से भ्रष्ट नहीं होता, वह

मनुष्य भी पंडित  कहलाता है।

04. जिसके कर्तव्य, सलाह और पहले से किए हुए विचार को दूसरे लोग नहीं जानते, बल्कि काम पूरा होने पर ही जानते हैं, वही पंडित कहलाता है।

05. जिस मनुष्य के कार्य में सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग,सम्पति अथवा दरिद्रता विघ्न नहीं डालती, वह मनुष्य भी पंडित कहलाता है।

यह भी पढ़ें :Chanakya Niti: इन 5 लोगों के साथ संबंध रखने वाला हो जाता है बर्बाद!

06. जो मनुष्य लौकिक बुद्धि, धर्म और अर्थ का ही अनुसरण करता है और जो भोग को छोड़कर पुरुषार्थ का ही वरण करता है, वही पंडित कहलाता है।

07. जो मनुष्य दुर्लभ वस्तुओं की कामना नहीं करते। खोई हुई वस्तु के विषय में शोक नहीं करते और विपत्ति में घबराते नहीं, वही पंडित कहलाते हैं।

08. जो मनुष्य पहले ही निश्चय करके कार्य आरम्भ करता है। किसी भी परिस्थित में कार्य को बीच में नहीं छोड़ता। समय को

व्यर्थ नहीं जाने देता और अपने मन को वश में रखता है, वह मनुष्य भी पंडित कहलाता है।

09. जो मनुष्य अपना आदर होने पर भी ख़ुशी से नहीं फूलता। अनादर होने पर दुखी नहीं होता तथा गंगा जी के कुंड के

समान जिसके चित्त को क्षोभ नहीं होता, वह मनुष्य पंडित माना जाता है।

10. जिसकी विद्या बुद्धि का अनुसरण करती है और जो शिष्ट पुरुषों की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता, वही पंडित की पदवी पा सकता है।

 

Open in App
Tags :