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पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव: क्या नॉर्थ पोल की शिफ्टिंग का GPS पर होगा असर?

North Pole Shifting: मैग्नेटिक फील्ड को जनरेट करने वाले फोर्स लगातार बदल रहे हैं, जिससे  पृथ्वी के मैग्नेटिक नॉर्थ और साउथ पोल की लोकेशन धीरे-धीरे बदल जाती है। आइए इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं।
01:48 PM Dec 25, 2024 IST | Ankita Pandey
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North Pole Shifting: हमारी धरती और सौरमंडल कई अनोखी कहानी और उन अनगिनत अजूबों से बना है। आए दिन हम किसी नई खोज के बारे में सुनते है। अक्सर हम एक्सपर्ट को धरती के मैग्नेटिक फील्ड में बदलावों को लेकर बात करते हुए सुनते हैं, मगर क्या आपने कभी सोचा है कि मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव से क्या होगा? आपको बता दें कि हमारी धरती चारो तरफ से एर बड़े मैग्नेटिक फील्ड से घिरी है। इसे मैग्नेटोस्फीयर कहा जाता है, जो पृथ्वी के सेंटर में पावरफुल , डायनेमिक फोर्स से जनरेट होता है। यह मैग्नेटोस्फीयर हमें सोलर हवा द्वारा हमारे वायुमंडल के क्षरण, कोरोनल मास इजेक्शन से आने वाला पार्टिकल रेडिएशन और डीप स्पेस से आने वाली कॉस्मिक रे और से बचाता है।

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मैग्नेटिक फील्ड में होता है बदलाव

हालांकि हमारे मैग्नेटिक फील्ड को जनरेट करने वाले फोर्स लगातार बदल रहे हैं, इसलिए फील्ड भी लगातार फ्लेक्स कर रहे हैं। समय के साथ इसकी ताकत बढ़ती और घटती रहती है। इससे पृथ्वी के मैग्नेटिक नॉर्थ और साउथ पोल की लोकेशन धीरे-धीरे बदल जाती है, और हर 300,000 साल या उससे भी ज्यादा समय में पूरी तरह से बदल जाता है। आपको बता दें कि ये रिवर्सल रेंडम होते हैं, यानी इसकी कोई फिक्स अवधि नहीं होती है। पिछली बार की बात करें तो यह घटना लगभग 780000 साल पहले हुई थी। हालांकि अब हमें इसकी जरूरत है।

क्या बदल जाएंगे मैग्नेटिक पोल्स ?

मैग्नेटिक पोल्स के पलटने का मतलब ये है कि नार्थ, साउथ पोल बन जाता है और साउथ पोल नॉर्थ पोल बन जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में सैकड़ों या हजारों साल लग सकते हैं। सूर्य से आने वाले चार्ज पार्टिकल के कारण जियो मैग्नेटिक फील्ड में गड़बड़ी हो रहो रही है , जिससे पृथ्वी का मैग्नेटिक नॉर्थ पोल की शिफ्ट हो रहा है। यह बदलाव नेविगेशन को प्रभावित करता है और इसे नियमित रूप से ध्यान में रखना चाहिए।

जैसा कि हमने बताया कि  पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता रहता है। ऐसे लगभग हर पांच साल में, यू.एस. नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) और ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल (WMM) को अपडेट करते हैं।

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आपको बता दें कि WMM  पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड का एक मैप है। NOAA के अनुसार, WMM सभी सैन्य और नागरिक विमानों, जहाजों, पनडुब्बियों और GPS यूनिट के लिए सही नेविगेशनल डेटा देता है। WMM को सटीक बनाए रखने के लिए हर पांच साल में अपडेट किया जाता है। हालांकि लेटेस्ट अपडेट काफी खास है क्योंकि यह कम्पास और नेविगेशन सिस्टम के काम करने के तरीके को काफी हद तक बदलने जा रहा है।

क्या है लेटेस्ट अपडेट?

हाल ही में WMM अपडेट से पता चलता है कि पृथ्वी का मैग्नेटिक नॉर्थ पोल कनाडा से रूस के साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव हमारे ग्रह के दो बड़े मैग्नेटिक लोब्स के बीच पिघले हुए लोहे और निकल के फ्लो से प्रेरित है: कनाडा के नीचे उत्तरी अमेरिकी लोब और साइबेरिया के नीचे साइबेरियाई लोब।

पिछले 20 सालों में पृथ्वी के बाहरी कोर के भीतर लोहे और निकल की आवाजाही ने साइबेरियाई लोब क्षेत्र को और अधिक सक्रिय बना दिया है, जिससे इसका प्रभाव मजबूत हुआ है और मैग्नेटिक नॉर्थ पोल  साइबेरिया की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

 GPS पर क्या प्रभाव?

पृथ्वी का मैग्नेटिक नॉर्थ पोल बदल रहा है, जो GPS और अन्य नेविगेशन सिस्टम को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। अगर मैग्नेटिक पोल वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल (WMM) के अपडेट होने की तुलना में तेजी से बदलता है, तो डिवाइस लोकेशन की गलत गणना कर सकते हैं। इससे नेविगेशन में गलतियां हो सकती हैं।

इसके साथ ही मैग्नेटिक पोल के बदलाव को ध्यान में रखते हुए WMM को बार-बार अपडेट करने की जरूरत होती है।  कमजोर मैग्नेटिक फील्ड स्थिति निर्धारण और नेविगेशन में गलतियां पैदा कर सकता है। इसके अलावा अगर मैग्नेटिक फील्ड उलट जाता है, तो यह डेली टेक्नोलॉजी यूज को  बाधित कर सकता है।

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EarthGPS
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