ईंट-पत्थर नहीं चांद पर मशरूम से बनेंगे घर! बेहद अनोखा है NASA का ये प्लान
Mushroom Houses On The Moon : अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने की इच्छा इंसानों में काफी समय से रही है। समय के साथ जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ है स्पेस के क्षेत्र में इंसानों के कदम भी मजबूत हुए हैं। लेकिन, अभी भी अंतरिक्ष में कई समस्याएं ऐसी हैं जिनके समाधान ढूंढे जा रहे हैं और इन कोशिशों के पॉजिटिव रिजल्ट भी देखने को मिले हैं। स्पेस को समझने के लिए कई अनोखी पहलें हुई हैं। ऐसा ही एक प्लान अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बनाया है जिसके तहत चांद पर घर बनाने का टारगेट तय किया गया है।
खास बात यह है कि नासा का चांद पर घरों को बनाने के लिए ईंट-पत्थर नहीं बल्कि मशरूम की मदद लेने जा रहा है। इस रिपोर्ट में समझिए क्या है नासा का पूरा प्लान और कैसे मशरूम चांद पर आशियाना बन सकता है। अंतरिक्ष में रहने के लिए आवास बनाने के लिए नासा इनोवेटिव समाधानों पर फोकस कर रही है और इसे लेकर उसका नया सॉल्यूशन मशरूम से जुड़ा हुआ है। यानी कि अगर सब कुछ ठीक रहा और नासा का प्लान सफल रहा तो अभी तक थाली का स्वाद बढ़ाता आया मशरूम जल्द ही अंतरिक्ष में इंसानों का आशियाना बन सकता है।
मशरूम जैसे कवक (Fungi) का इस्तेमाल करते हुए रहने लायक स्ट्रक्चर बनाने की इस फ्यूचरिस्टिक अप्रोच को माइकोटेक्चर (Mycotecture) कहते हैं। माइकोटेक्चर की स्टडी करने के लिए स्पेस एजेंसी ने नासा के एमेस रिसर्च सेंटर (Ames Research Centre) तो 20 लाख डॉलर (लगभग 167 करोड़ 96 लाख रुपये) का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। किसी साइंस फिक्शन फिल्म के प्लॉट जैसा लगने वाला यह आइडिया उन तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है जिनके जरिए वैज्ञानिक चांद और मंगल पर कॉलोनी बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं।
आखिर मशरूम ही क्यों?
इस काम के लिए नासा का मशरूम पर फोकस करने के पीछे का मुख्य कारण यह है कि निर्माण सामग्री को स्पेस में ट्रांसपोर्ट करने में बहुत ज्यादा लागत आती है। भारी-भरकम बिल्डिंग मैटेरियल्स को अंतरिक्ष में भेजना बहुत महंगा होता है। इसके अलावा निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले मैटीरियल्स का भारी वजन भी इसे स्पेस मिशंस के लिए अव्यावबारिक बनाता है। इसीलिए नासा चांद पर कंस्ट्रक्शन करने के लिए कुछ इस तरह के अल्टरनेटिव और इफिशिएंट ऑप्शंस को डेवलप करने की कोशिश कर रही है जो प्रैक्टिकल भी हो और किफायती भी।
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किफायती होने के साथ मशरूम के कई और लाभ भी हैं। नासा की एक रिसर्च में पता चला है कि इससे बनने वाले स्ट्रक्चर अंतरिक्ष यात्रियों को रेडिएशन से प्रोटेक्ट कर सकते हैं। एक्स्ट्रीम टेंपरेचर के खिलाफ इंसुलेशन उपलब्ध करा सकते हैं। साथ ही मशरूम तेजी से उगते हैं ऐसे में एक पूरी बिल्डिंग महज एक या दो महीने के अंदर तैयार की जा सकती है। मशरूम की ये खासियतें उसे पारंपरिक बिल्डिंग मैटीरियल्स का अच्छा विकल्प बनाती हैं। इसके लिए धरती पर किए गए एक्सपेरिमेंट काफी सफल रहे हैं लेकिन चांद पर ऐसा कर पाना चुनौतीपूर्ण होगा।
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ऐसे बनेंगे मशरूम के घर
चांद पर मशरूम के घर बनाने की शुरुआत एक स्पेशल पैकेज से होगी। ये पैकेज चांद की सतह पर डिलिवर होगा जिसमें बुनियादी घरेलू जरूरतें होंगी और इसे शुरुआती स्ट्रक्चर बनाने के लिए इन्फ्लेट (फुलाया) किया जाएगा। इसके अंदर मशरूम के स्पोर्स (बीजाणु), पानी और शैवाल के मिश्रण से एक बाहरी आवरण तैयार होगा जो आखिर में एक रहने योग्य और मजबूत आवास में बदल जाएगा। चांद पर यह कितना कारगर साबित होगा यह जानने के लिए नासा ने साल 2028 में इन माइकोटेक्टर स्ट्रक्चर्स का एक कॉन्सेप्ट मॉडल भेजने का प्लान बनाया है।
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