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8 अरब साल बाद धरती पर पहुंचे रेडियो सिग्नल का पता चला सोर्स, वैज्ञानिकों ने बताई चौंकाने वाली बात

Radio signals Space Science News: खगोलविदों के लिए एफआरबी का पता लगाना बहुत मुश्किल काम है। बावजूद इसके कि दुनिया के सबसे संवेदनशील रेडियो, टेलीस्कोप और कंप्यूटिंग सिस्टम उनके पास हैं।
03:12 PM Jan 12, 2024 IST | Shubham Singh
रेडियो सिग्नल के सोर्स का वैज्ञानिकों ने लगाया पता
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Scientists discovered source of radio signals coming from universe after 8 billion years: 8 अरब साल में पृथ्वी पर पहुंचने वाले रेडियो सिग्नल के बारे में वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों ने यह पता लगा लिया है कि इसका स्रोत क्या था यानी यह कहां से आया था। साइंटिस्ट्स के मुताबिक वह सात परस्पर क्रिया करने वाली आकाशगंगाओं से आया था। रहस्यों से भरे इस रेडियो सिग्नल को लेकर वैज्ञानिक भी चकित थे। साइंटिस्ट्स ने हाल ही में इस सिग्नल को रिकॉर्ड किया था। तभी से यह रहस्य का विषय बना हुआ था। सबसे बड़ा सवाल इसके उत्पत्ति को लेकर था कि यह कहां से आ रही है।

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WION की एक रिपोर्ट के मुताबिक लुइसियाना के न्यू ऑरलियन्स में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की 243वीं बैठक के दौरान प्रस्तुत एक नए रिसर्च में कहा गया है कि सबसे अनोखी और प्राचीन तेज रेडियो विस्फोट (एफआरबी) उस स्थान से आया था जो बिग बैंग से आधा समय पहले का है। अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में खगोलविदों (Astronomers) ने 2022 में खोजे गए सबसे शक्तिशाली एफआरबी की उत्पत्ति का पता लगा लिया है।

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हबल स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल

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रिसर्चर्स ने नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा कैप्चर की गई इमेजेज का इस्तेमाल करके कम से कम सात आकाशगंगाओं के समूह में 20220610A नामक एफआरबी का पता लगाया। सामने आए निष्कर्षों से पता चलता है कि आकाशगंगाएं एक-दूसरे से मिल रही हैं और विलय का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। आकाशगंगाओं के बीच इस तरह की दुर्लभ अंतःक्रियाएं ऐसी स्थितियों को जन्म देती हैं जो एफआरबी को ट्रिगर कर सकती हैं।

एक मिलिसेकेंड से कम रहा था विस्फोट

बता दें कि वैज्ञानिक अभी तक दूर ब्रम्हांड से आने वाली सैकड़ों सिग्नल्स का पता लगा चुके हैं। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, FRB 20220610A नाम का यह विस्फोट एक मिलिसेकंड से भी कम समय तक चला। एफआरबी की स्टडी करना बहुत मुश्किल भरा काम होता है और ये बहुत ही दुर्लभ होती हैं।

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