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चौथी लड़की हुई तो नाम रखा अंतिम! हरियाणा की बेटी ने कुश्ती में की ऐसी 'शुरुआत', मेडल्स की लगा दी झड़ी

Paris Olympic 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में हरियाणा की बेटी अंतिम पाल भारत की ओर से कुश्ती में अपनी चुनौती पेश करेंगी। अंतिम हरियाणा की रहने वाली हैं और उनका जीवन बेहद संघर्षों से भरा रहा है।
06:25 AM Jul 12, 2024 IST | mashahid abbas
Antim Panghal
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Paris Olympic 2024: दंगल फिल्म का वो डॉयलाग तो आपको याद ही होगा कि ‘म्हारी छोरियां छोरो से कम हैं के’ फिल्म में आमिर खान एक पिता के रूप में अपनी बेटियों के पहलवान बनने के सपने को पंख लगाने का काम करते हैं। ठीक वैसा ही हरियाणा में रहने वाले एक पिता ने भी कमाल किया और अपनी बेटी के सपने को परवान तक पहुंचाने के लिए अखाड़ा तो नहीं तैयार किया बल्कि अपनी पूरी कमाई लगाकर बेटी को अच्छे अखाड़े तक जरूर पहुंचा दिया, जहां से उस बेटी के सपने और उसके हौसले ने उड़ान भरी और अब वह बेटी पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। ये बहादुर बेटी हरियाणा के हिसार जिले के भगाना गावं के रहने वाली अंतिम पंघाल हैं। आइए जानते हैं अंतिम को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितने मुश्किल रास्तों का सफर तय करना पड़ा है।

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कौन हैं अंतिम पंघाल

अंतिम पंघाल की उम्र अभी महज 19 वर्ष की ही है। अंतिम पंघाल 26 जुलाई से शुरू होने जा रहे पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत की ओर से कुश्ती की 53 किग्रा भार वर्ग में चुनौती पेश करती हुई नजर आएंगी। इससे पहले अंतिम 2 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप भी जीत चुकी हैं। इस बार ओलंपिक में वह पदक की प्रबल दावेदारों में से एक मानी जा रही हैं।

कैसा रहा सफर

अंतिम का जन्म 2004 में हुआ था। अंतिम ने पिता के कहने पर 12 वर्ष की उम्र से कुश्ती के दांवपेंच को सीखना शुरू किया। वह अपने गांव के ही अखाड़े में गुरु पवन कुमार से कुश्ती सीखा करती थी, लेकिन कुछ ही समय के बाद पवन कुमार का निधन हो गया। पिता चाहते थे कि उनकी बेटी कुश्ती में आगे बढ़ी इसलिए उन्होंने अंतिम का एडमिशन घर से 25 किलोमीटर दूर शहर के एक प्रोफेशनल एकेडमी में करा दिया। कुश्ती में सुबह 3 बजे से ही अभ्यास शुरू हो जाता था इसलिए अंतिम की मां उन्हें एकेडमी के पास ही एक कमरे में किराए पर रहने लगी।

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पिता ने भी छोड़ दिया गांव

बेटी को कुश्ती में अच्छा मौका मिले और वह आगे बढ़ सके इसके लिए पिता रामनिवास ने भी एक जिद ठान ली। रामविलास ने बेटी को अच्छी ट्रेनिंग मिल सके इसके लिए गांव के डेढ़ एकड़ जमीन, गाड़ी, ट्रैक्टर और मशीन तक बेच डाली। जरूरत पड़ने पर दोस्तों व रिश्तेदारों से कर्ज लिया और बेटी की ट्रेनिंग पर पूरा पैसा लगाते रहे। बेटी ने भी पिता के सपनों को पंख लगाने का काम किया और अपनी मेहनत में कोई भी कसर नहीं छोड़ी।

बहन भी है राष्ट्रीय खिलाड़ी

अंतिम की बहन सरिता पंघाल भी कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी रही हैं। अंतिम कहती हैं कि उन्हें कबड्डी कभी अच्छा ही नहीं लगा और वह हमेशा से ही कुश्ती को पसंद करती थी।

बेटी नहीं चाहते थे पिता

अंतिम की 3 बड़ी बहन हैं। पिता रामनिवास और मां कृष्णा कुमारी एक बेटा चाहते थे। लेकिन घर में फिर बेटी पैदा हुई तो उसका नाम अंतिम रखा गया। अंतिम के गांव में मान्यता है कि घर में 2 या 3 बेटी हो जाएं तो उसका नाम अंतिम या काफी रख दिया जाए। इससे अगली संतान बेटा पैदा होता है।

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कैसा रहा करियर

अंतिम पंघाल का करिअर अब तक बेहद शानदार रहा है। अपनी कड़ी मेहनत व जुनून के दम पर अंतिम ने एशिया अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, वर्ल्ड अंडर-17 में कांस्य पदक और एशिया अंडर-23 में सिल्वर पदक जीता है। महज 17 साल की उम्र में अंतिम पंघाल जूनियर रेसलिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच चुकी हैं।

ओलंपिक में जाने से पहले क्या बोली अंतिम

अंतिम पंघाल ने ओलंपिक में जाने से पहले कहा कि ‘देश ने मुझ पर भरोसा जताया है और मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती हूं। एक बार जब मैं किसी चीज पर अपना मन बना लेती हूं, तो मैं उसे पूरा करना सुनिश्चित करती हूं’ मैं जीतकर ही वापस लौटूंगी। अपने शुरुआती करियर के बारे में अंतिम ने कहा कि ‘मैट पर कदम रखने से पहले मुझे घबराहट होती है, लेकिन एक बार जब मैं मैट पर होती हूं, तो डर और घबराहट दूर हो जाती है। मेरा पूरा जोश लड़ने और जीतने पर हो जाता है।

अंतिम पंघाल की उपलब्धियां

क्रमांक आयोजन पदक वर्ष 
1अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपिंयनशिपस्वर्ण2022, 23
2विश्व चैंपियनशिपरकांस्य2023
3एशियाई चैंपियनशिपकांस्य2023
4एशियन गेम्सकांस्य2023

5. कुश्ती अंडर-20 में विश्व चैंपियन बनने वाली भारत की पहली महिला
6. UWW राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर-2023

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