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र‍िटायरमेंट की उम्र में ओलंप‍िक में डेब्‍यू करने जा रही ये ख‍िलाड़ी, खत्‍म होगा 38 साल का इंतजार

Paris Olympic Games 2024: दो द‍िन बाद ही पेर‍िस ओलंप‍िक शुरू होने जा रहा है। इस बीच एक ऐसी ख‍िलाड़ी हैं जो गेम्‍स के शुरू होते ही नया इत‍िहास रच देंगी। इस ख‍िलाड़ी को ओलंप‍िक खेलने का सपना पूरा करने के ल‍िए 38 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा।
07:05 PM Jul 24, 2024 IST | Amit Kumar
च‍िली की ये ख‍िलाड़ी रचेगी इत‍िहास
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Zhiying Zeng Story: एक ख‍िलाड़ी के डेब्‍यू करने की क्‍या उम्र हो सकती है? 15..18..20 या फ‍िर 25 साल। चल‍िए 30-35 साल तक भी मान लेते हैं। लेक‍िन अगर हम कहें क‍ि र‍िटायरमेंट की उम्र के पास पहुंच चुकी एक ख‍िलाड़ी पेर‍िस ओलंप‍िक (Paris Olympic Games 2024) में डेब्‍यू करने जा रही है तो! ज‍िस उम्र में लोग अपनी Pension के बारे में सोचने लगते हैं, ये ख‍िलाड़ी अपने Passion को फॉलो कर रही है। इस सपने को पूरा करने के ल‍िए उसने 38 साल तक इंतजार क‍िया। आख‍िरकार अब 2 द‍िन बाद शुरू हो रहे पेर‍िस ओलंप‍िक में यह ख्‍वाब पूरा होने जा रहा है।

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इस ख‍िलाड़ी का नाम है झ‍िय‍िंग जेंग। जेंग मूलरूप से चीन की हैं और वह चीन की टेबल टेन‍िस टीम में भी शाम‍िल थी। आज से 41 साल पहले 1983 में उन्‍हें चीन की टीम में जगह म‍िली थी। मगर महज 3 साल के बाद ही उन्‍होंने अचानक संन्‍यास लेने की घोषणा कर दी। उस समय Zhiying Zeng की उम्र महज 20 साल थी। जेंग के माता-प‍िता भी टेबल टेन‍िस कोच थे, इसल‍िए बचपन से ही उन्‍हें इस खेल के गुर सीखने को म‍िल रहे थे। ये वो समय था जब चीन की प‍िंग-पोंग ड‍िप्‍लोमेसी काफी पॉपुलर थी। 1971 में चीन और अमेर‍िका के बीच संबंधों को सुधारने के ल‍िए टेबल टेन‍िस का सहारा ल‍िया गया था, ज‍िसे प‍िंग पोंग ड‍िप्‍लोमेसी के नाम से जाना गया। 1949 के बाद 1971 में पहली बार अमेर‍िका ने अपना प्रत‍िन‍िध‍ित्‍व मंडल चीन भेजा था, जो क‍ि एक टेबल टेन‍िस टीम थी।

यहीं से शुरू हुआ सपना

इस दौरान हर बच्‍चा टेबल टेन‍िस खेलता द‍िखने लगा था, बस यहीं से जेंग के सपने की भी शुरुआत हो गई। ब्राजील में ज‍िस तरह का जुनून फुटबॉल को लेकर है, ठीक वैसा ही माहौल चीन में टेबल टेन‍िस को लेकर था। 11 साल की जेंग को उनकी मां ने टेबल टेन‍िस स‍िखाना शुरू कर द‍िया। आख‍िरकार वो द‍िन आया और 1983 में वह चीन की टीम में चुनी गईं।

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इस खास रूल ने तोड़ द‍िया सपना

मगर जल्‍द ही एक खास रूल की वजह से उनका सपना चूर-चूर हो गया। टेबल टेन‍िस में एक न‍ियम आया, 'Two Colour Rule'। इस न‍ियम के तहत ख‍िलाड़ी को दो रंग के पैडल के साथ खेलना होता था और व‍िपक्षी ख‍िलाड़ी यह तय करता था क‍ि आपको क‍िस रंग के साथ खेलना होगा। इसका नुकसान यह हुआ क‍ि ख‍िलाड़ी की स्‍पीड और स्‍प‍िन के बारे में अंदाजा लगाना आसान हो गया। बस यहीं से झ‍िय‍िंग जेंग के प्रदर्शन में ग‍िरावट आने लगी। वह खुद को कमजोर समझने लगी और मानस‍िक तौर पर टूटने लगी। आख‍िरकार 1986 में उन्‍होंने खेलना ही छोड़ द‍िया। यह झटका जेंग के ल‍िए इतना बड़ा था क‍ि वो इसे सह नहीं पाई और हमेशा के ल‍िए खेल से नाता तोड़ ल‍िया। बाद में च‍िली में अपने पत‍ि के साथ रहने चली गईं।

कोव‍िड ने दी नई उम्‍मीद

वह अपनी ज‍िंदगी में समझौते कर चुकी थी और पर‍िवार के साथ खुश रहना सीख ल‍िया था। तभी 2020 में कोरोना की वजह से दुन‍ियाभर में लॉकडाउन लग गया। बोर‍ियत को दूर करने के ल‍िए जेंग लोकल टूर्नामेंट में खेलने लगीं। रोचक बात यह रही क‍ि वह अपने सारे मैच जीतती चली गईं। यही नहीं साल 2023 में वह च‍िली की नंबर वन मह‍िला टेबल टेन‍िस ख‍िलाड़ी बन गई और इस तरह वह एक बार फ‍िर से नेशनल टीम में शाम‍िल हो गईं। वह खुद मजाक में कहती हैं क‍ि कोई भी इस बात पर यकीन नहीं करेगा। जल्‍द ही उन्‍होंने पेर‍िस ओलंप‍िक के ल‍िए भी क्‍वालीफाई कर ल‍िया।

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