Paris Olympics से पहले भी 'जेंडर' पर हो चुके हैं बवाल, लिस्ट में 3 ट्रांसजेंडर शामिल
Paris Olympics 2024 Gender Controversy: पेरिस ओलंपिक 2024 में इस बार जेंडर को लेकर बवाज छिड़ा है। 66 किलोग्राम भार वर्ग के बॉक्सिंग मुकाबले में इटली की बॉक्सर एंजेला करीनी के सामने अल्जीरियाई बॉक्सर ईमान खलीफ उतरीं, लेकिन सिर्फ 46 सेंकेड में मैच खत्म हो गया और ईमान पर आरोप लगा कि वह महिला नहीं पुरुष हैं। जांच करने पर खुलासा हुआ कि ईमान में टेस्टोस्टेरोन का लेवल बहुत ज्यादा मिला है और यह हार्मोन केवल पुरुषों में मिलता है।
इस वजह से ईमान के महिला के खिलाफ बॉक्सिंग रिंग में उतरे पर बवाल छिड़ा। इस बीच ईमान को लेकर जानकारी सामने आई कि ईमान को साल 2023 में भी वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में डिस्क्वालिफाई किया गया था। चैम्पियनशिप भारत में हुई थी और ईमान को जेंडर टेस्ट में फेल होने पर डिस्क्वालिफाई किया गया था, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। खेल की दुनिया में जेंडर को लेकर पहले भी कई बवाल हो चुके हैं। 2 बार विवाद तो भारतीय खिलाड़ियों को लेकर हुआ। आइए जानते हैं कि किस-किस खिलाड़ी के जेंडर पर अब से पहले बवाल हुए हैं?
Dutee Chand
भारत की स्प्रिंटर दुती चंद भी जेंडर विवाद झेल चुकी हैं। उन्हें भी टेस्टोस्टेरोन लेवल ज्यादा होने के कारण राष्ट्रमंडल खेल 2014 में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था। वे क्वालिफाई होने के बावजूद गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाई थीं। विरोध जताते हुए दुती चंद ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील की और उन्होंने यह केस जीत लिया था।
इसके बाद उन्होंने 4 गेम्स में हिस्सा लिया, लेकिन सिर्फ 2 में मेडल जीत पाईं। डोप टेस्ट में फेल होने पर दुती चंद पर वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) ने बैन लगा दिया था। उन्हें 3 जनवरी 2023 को आदेश दिया गया कि वे 4 साल तक किसी गेम में हिस्सा नहीं लेंगी। इन विवादों के बीच दुती चंद ने एक्सेप्ट किया था कि वे समलैंगिक हैं और अपने रिश्ते को खुलकर दुनिया के सामने स्वीकार करने वाली वे पहली भारतीय एथलीट हैं।
Shanthi Soundarajan
भारतीय एथलीट सुंदरराजन भी जेंडर विवाद में फंस चुकी हैं। उन्होंने एशियाई गेम्स 2006 में 800 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था, लेकिन जेंडर टेस्ट में फेल होने पर उनका मेडल छीन लिया गया था। इसके बाद एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उन पर जीवनभर के लिए प्रतिबंध लगा दिया। इस तरह उनका खेल करियर खत्म हो गया। जेंडर टेस्टमें शांति में हाइपरएंड्रोनिजम मिला था। इस वजह से महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टेरोन ज्यादा बनने लगता है। प्रतिबंध लगने के 10 साल बाद सुंदरराजन को नौकरी मिली। आज वे तमिलनाडु स्पोर्ट्स डेवलेपमेंट अथॉरिटी की कोच हैं।
Laurel Hubbard
न्यूज़ीलैंड की वेटलिफ्टर लॉरेल हब्बार्ड ट्रांसजेंडर थी। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में हिस्सा लिया था। साल 2013 से पहले वे पुरुष थीं और उसके बाद से वे महिला हैं। साल 2015 में इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने नियम बदले और आदेश जारी हुआ कि अगर एथलीट के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल निर्धारित किए गए लेवल से कम से है तो एथलीट गेम में हिस्सा ले सकेंगे।
यह भी पढ़ें:Paris Olympics मेडल विनर Sarabjot Singh से News24 की एक्सक्लूसिव बातचीत, देखें क्या बोले?
Rene Richards
रेने रिचर्ड्स अमेरिकी की पहली महिला ट्रांसजेंडर टेनिस प्लेयर थीं। साल 1975 में रेने ने जेंडर बदलवाया था। इससे पहले 40 वर्षीय प्लेयर पुरुष थीं और शादीशुदा थीं। उनके 2 बच्चे भी थे। जेंडर बदलने से पहले उनका नाम रिचर्ड रस्किन्ड था। अमेरिकन नेवी में डॉक्टर थीं। नेवी में रहते हुए ही वे टेनिस से जुड़ी थीं। 1976 में उनकी पहचान एक पत्रकार के जरिए सामने आई। 1977 के US ओपन टेनिस टूर्नामेंट में उन्होंने महिलाओं की कैटेगरी में हिस्सा लिया था, लेकिन उनका विरोध हुआ। इस विवाद के बाद ही US ओपन के इतिहास में पहली बार जेंडर टेस्ट हुआ और जेंडर टेस्ट किए जाने की शुरुआत हुई।
Rachel McKinnon
कनाडा की साइकिलिस्ट रेचल मकिनॉन भी ट्रांसजेंडर एथलीट थीं। रेचल ने वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ते हुए वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीती थी। जेंडर टेस्ट में खुलासा हुआ था कि वे अब से पहले पुरुष थीं। तब चर्चा हुई कि वर्ल्ड रिकॉर्ड उस एथलीट ने तोड़ा, जो जन्म से लड़का था और जेंडर बदलवाकर लड़की बन गई। इस चैम्पियनशिप में कई देशों के एथलीट ने इसलिए हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि वे रेचल के साथ प्रतियोगिता नहीं करना चाहते थे।
यह भी पढ़ें:लाइसेंस नहीं बनता तो मनु भाकर कैसे जीतती ओलंपिक मेडल? मां-बाप ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सुनाई कहानी
Caster Semenya
दक्षिण अफ्रीका की एथलीट स्प्रिंटर कैस्टर सेमेन्या भी जेंडर विवाद झेल चुकी हैं। वे 2 बार ओलंपिक में 800 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं, लेकिन वर्ल्ड एथलेटिक्स (WA) ने टेस्टोस्टेरोन का लेवल ज्यादा होने के कारण उन पर बैन लगा दिया था। वे साल 2009 में जेंडर टेस्ट कराने पर सुर्खियों में आई थीं, लेकिन उनकी टेस्ट रिपोर्ट 10 साल तक पब्लिक नहीं की गई थी। फिर भी कुछ सूत्रों से उनकी रिपोर्ट लीक हो गई थी। फिर कैस्टर को आदेश मिला कि वे दवाई लेकर टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम करें और उसके बाद ही वर्ल्ड चैम्पियनशपि खेलने का मौका मिलेगा। कैस्टर ने इस आदेश को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में चैलेंज किया, लेकिन वे केस हार गईं। यूरोपीयन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में वे केस जीत गईं।
यह भी पढ़ें:भारतीय मां भी कमाल की हैं…पेरिस ओलंपिक में मेडल जीत मां को किया फोन, जवाब सुन हो जाएंगे लोटपोट