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जिसे गांववालों ने कहा मंकी, मेंटल, उसी ने पेरिस पैरालंपिक में रचा इतिहास

Paris Paralympics 2024 में भारतीय एथलीट दीप्ति जीवनजी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है। उन्होंने ये मेडल महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में हासिल किया है। दीप्ति ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला एथलीट बन गई हैं। इससे पहले ये कारनामा प्रीति पाल ने किया था, जिन्होंने इसी पैरालंपिक में भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पहला पदक जीता था। 
09:26 AM Sep 04, 2024 IST | mashahid abbas
Deepthi Jeevanji
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Paris Paralympics 2024 में भारतीय एथलीट दीप्ति जीवनजी ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। उन्होंने महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। इससे पहले ये कारनामा प्रीति पाल ने किया था, जिन्होंने इसी पैरालंपिक में भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पहला पदक जीता था। दीप्ति जवनजी ने इस इवेंट में 55.82 सेकेंड में अपनी दौड़ पूरी करके ब्रॉन्ज मेडल जीता है। जबकि, इस इवेंट में युक्रेन की रेसको ने 55.16 सेकेंड में अपनी दौड़ पूरी करके गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। वहीं, तुर्की की आयसेल ओंडर ने 55.23 सेकेंड में दौड़ पूरी करके इस इवेंट का सिल्वर पदक अपने नाम किया है।

कौन हैं दीप्ति जीवनजी 

दीप्ति जीवनजी तेलंगाना के वारंगल जिले की रहने वाली हैं। वो काफी गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे। दीप्ति का परिवार इतना गरीब था कि उनके पास अपनी बेटी को वारंगल से हैदराबाद भेजने के लिए बस का किराया देने तक के पैसे नहीं थे। दीप्ति की मानसिक स्थिति सही नहीं होने से उन्हें मोहल्ले के लोग ताने भी मारा करते थे। अब यही ताना मारने वाले लोग दीप्ति के घर बधाई के लिए पहुंच रहे हैं।

दीप्ति के कोच रमेश के अनुसार, दीप्ति ने संघर्ष का सामना करते हुए ये मुकाम हासिल किया है। उनके माता-पिता को भी खूब ताने सुनने पड़े हैं कि उनकी बेटी मानसिक रूप से कमजोर है, इसलिए इसकी शादी नहीं हो सकती। एक स्कूल के टूर्नामेंट में उन्होंने दीप्ति की दौड़ को देखा था, तब ही उन्होंने दीप्ति को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया था।

बचपन में गांव वालों ने चिढ़ाया 

दीप्ति की मां जीवनजी धनलक्ष्मी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया था कि दीप्ति जीवनजी सूर्य ग्रहण के दौरान पैदा हुईं थीं। जन्म के समय उनका सिर बहुत छोटा था, साथ ही होंठ और नाक भी थोड़े असामान्य थे। इसे देखकर गांव के बच्चे और रिश्तेदार दीप्ति जीवनजी को 'पागल' और 'बंदर' कहकर चिढ़ाते थे और उन्हें अनाथालय भेजने के लिए कहते थे। दीप्ति को जब लोग चिढ़ाते थे, तो वो घर आकर रोया करती थीं। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के बाद घर का खर्च चलाने के लिए खेत बेचना पड़ा था। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है।

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बना चुकी हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड 

पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाली दीप्ति जीवनजी वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुकी हैं। दीप्ति जीवनजी ने जापान के कोबे में पैरा एथलेटिक वर्ल्ड चैंपियनशिप-2024 में 400 मीटर टी20 श्रेणी में 55.06 सेकंड का समय लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इसके साथ ही एशियाई पैरा गेम्स-2023 में उन्होंने अमेरिकी एथलीट ब्रेना क्लार्क का रिकॉर्ड (55.12 सेकेंड) तोड़ा था। वहीं, एशियाई गेम्स-2022 में उन्होंने नया एशियाई पैरा रिकॉर्ड अपने नाम करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। दीप्ति ने उस वक्त 56.69 सेकंड का समय निकाला था।

इनाम के पैसों से खरीदी जमीन 

दीप्ति जीवनजी की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि उन्हें अपने प्रशिक्षण के लिए जमीन तक बेचनी पड़ गई थी। लेकिन, जब पैरा एशियाई गेम्स में उन्हें गोल्ड मेडल के साथ 30 लाख रुपये का इनाम मिला तो उन्होंने इससे जमीन खरीदी। दीप्ति को जब-जब मेडल या पुरस्कार राशि मिलती है, वह उससे जमीन ही खरीदती हैं। इस जमीन पर उनका परिवार खेती करता है। दीप्ति जीवनजी के करियर को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद की भी भूमिका रही है।

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