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UP का ये अफसर बना दुनिया का नंबर-1 शटलर, संघर्ष जान आप भी रह जाएंगे दंग

उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई (Suhas Lalinakere Yathiraj) ने इतिहास रच दिया है। बैडमिंटन वर्ल्ड रैंकिंग की ओर से जारी की गई ताजा रैंकिंग में वह दुनिया के नंबर-1 पैरा शटलर खिलाड़ी बन गए हैं। नोएडा, प्रयागराज, आजमगढ जैसे शहरों के जिलाधिकारी रह चुके सुहास एलवाई ने बेहद कम समय में यह उपलब्धि अपने नाम की है।
10:33 AM Jun 26, 2024 IST | mashahid abbas
IAS Suhas Lalinakere Yathiraj
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UP IAS Officer Suhas Lalinakere Yathiraj:  "सपने वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हो, सपने वो होते हैं जो आपको सोने ही न दें" देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का ये कथन सच करके दिखाया है उत्तर प्रदेश के एक IAS अधिकारी ने। जिंदगी में तमाम उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए इस अधिकारी ने न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया है, बल्कि अपनी जिद, मेहनत और जुनून के चलते पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर दिया है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के खेल सचिव IAS अधिकारी सुहास एलवाई (सुहास लालिनाकेरे यतिराज) की। सुहास एलवाई ने इतिहास रचते हुए पैरा बैडमिंटन की नंबर-1 रैंकिंग हासिल कर ली है। सुहास ने ये उपलब्धि तमाम संघर्षों के बाद बटोरी है।

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कौन हैं सुहास एलवाई

सुहास एलवाई (Suhas Lalinakere Yathiraj) का जन्म कर्नाटक के शिगोमा शहर में हुआ था। वह जन्म से ही दिव्यांग थे। पढ़ाई-लिखाई स्थानीय भाषा कन्नड़ में शुरू की। इसके बाद अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में दाखिला लेने गए तो 3 स्कूलों ने उनका एडमिशन लेने से ही मना कर दिया। इसके बाद चौथे स्कूल ने उनका एडमिशन लिया। पैर से दिव्यांग होने के बावजूद सुहास एलवाई खिलाड़ी बनना चाहते थे। उनका बचपन से ही देश के लिए खेलने और जीतने का सपना था। परिवार ने सुहास को पूरी मदद दी और वह स्कूल में क्रिकेट खेलते रहे।

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ऐसे बने IAS

अर्जुन अवार्ड से सम्मानित सुहास एलवाई ने इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद उन्हें नौकरी मिल गई थी। लेकिन इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी भी सुहास एलवाई पर आ गई। सुहास ने नौकरी के साथ-साथ सिविल परीक्षा पास करने की ठानी। उन्होंने 2007 में UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला।

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कब शुरु किया बैडमिंटन खेलना

उत्तर प्रदेश कैडर मिलने के बाद उन्हें अलग-अलग जिलों में तैनाती मिली। 2015 के आसपास उन्हें आजमगढ़ का जिलाधिकारी (DM) बनाया गया। यहां दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। धीरे-धीरे वह अच्छा खेलने लगे और प्रोफेशनल बैडमिंटन खेलने लगे। इसके बाद प्रयागराज समेत कई जिलों में उनका तबादला हुआ लेकिन उनका खेल उनसे नहीं छूटा। सुहास ने 2016 में ही चीन में खेले गए एशियाई पैरा चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 2020 में उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में रजत और 2024 में थाईलैंड में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।

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कौन सी रैंकिंग में बने नंबर-1

सुहास एलवाई ने बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड रैंकिंग में पहली रैंक हासिल की है। उन्होंने फ्रांस के दिग्गज शटलर लुकास माजुर को पछाड़ कर ये उपलब्धि हासिल की है। सुहास एलवाई को टोक्यो पैरालंपिक में एसएल-चार कैटेगरी में लुकास माजुर ने ही हराया था। तब सुहास ने रजत पदक जीता था। पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड रैंकिंग की ओर से जारी की गई ताजा रैंकिंग में सुहास के नाम 60,527 अंक हैं। जबकि फ्रांस के लुकास माजुर 58,953 अंक के साथ दूसरे और इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतिवान 51,455 अंक के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

सोशल मीडिया पर जताया आभार

सुहास एलवाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस रैंकिंग का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए लिखा कि "आखिरकार वर्ल्ड नंबर-1, इसे साझा करते हुए खुशी हो रही है। मुझे जीवन में पहली बार बैडमिंटन विश्व महासंघ की पैरा बैडमिंटन रैंकिंग में वर्ल्ड की नंबर-1 रैंकिंग मिली है। इससे पहले लंबे समय तक इस स्थान पर लुकास माजुर बने हुए थे। आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। जय हिंद

मुख्यमंत्री ने दी बधाई

सुहास एलवाई की इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सुहास एलवाई की पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि "बधाई हो, खेल के प्रति आपका समर्पण और साथ में प्रशासनिक कर्तव्यों का कुशल संचालन सराहनीय है। आपके भविष्य में सभी प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं। हमें आपकी उपलब्धियों और आपसे मिलने वाली प्रेरणा पर गर्व है।"

पत्नी भी हैं अधिकारी

सुहास एलवाई की पत्नी ऋतु सुहास भी IAS अधिकारी हैं। साथ में वह फैशन शो में भी हिस्सा लेती हैं। ऋतु सुहास ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने पति का खेल नहीं देखती हैं। उन्हें खेलते हुए देखती हूं तो डर लगता है। जब मेडल जीतने की जानकारी मिलती है तो वह बधाई के लिए जरूर फोन करती हैं।

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