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‘बचपन में पिता को खोया, कैंसर पीड़ित मां को समाज ने मारे थे ताने..’ विनेश फोगाट ऐसे बनीं पहलवान

Vinesh Phogat Emotional Story: भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट अब गोल्ड मेडल जीतने की कगार पर खड़ी है। पेरिस ओलंपिक के फाइनल में पहुंचकर विनेश ने इतिहास रच दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विनेश का बचपन कितनी मुश्किलों से बीता है।
10:46 AM Aug 07, 2024 IST | Vishal Pundir
Vinesh Phogat
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Vinesh Phogat Emotional Story: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। अब विनेश अपने ओलंपिक गोल्ड मेडल से एक कदम दूर है। विनेश ने पेरिस ओलंपिक के 11वें दिन तीन पहलवानों को पटखनी दी थी। सेमीफाइनल में क्यूबा की पहलवान को हराकर विनेश ने फाइनल में अपनी जगह पक्की की। सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने के बाद विनेश को अपनी मां से वीडियो कॉल पर बातचीत करते हुए देखा गया था। इस दौरान विनेश को अपनी मां से वादा करते हुए सुना गया कि गोल्ड लाना है गोल्ड। वहीं विनेश फोगाट का बचपन बहुत ही परेशानियों से भरा रहा है।

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विनेश ने सुनाई बचपन की दर्द भरी कहानी

विनेश फोगाट ने एक बार इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, उनकी मां 32 साल की उम्र में ही विधवा हो गई थी। मैं तब 9 साल की थीं जब पिता का देहांत हो गया था। मां को समाज वाले भी बहुत ताने मारते थे कि ये कैसे बच्चों को बड़ा करेगी। मुझे ये सब देखकर काफी दुख होता था, हमारी मां काफी संघर्ष किया है। मां के संघर्ष के बीच हम कब इतने बड़े हो गए पता ही नहीं चला। पिता की मौत से पहले मेरी मां घर से भी बाहर नहीं निकली थी, उनको बाहर की दुनिया का कुछ नहीं पता था।

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मां को था कैंसर

आगे विनेश कहती हैं कि जब मेरी मां कैंसर से पीड़ित थी तो उनको कीमोथेरेपी के लिए रोहतक जाना पड़ता था। उनको तो ये भी नहीं पता था कि कहां बैठना है और कहां उतरना है। उस वक्त मां का किसी ने साथ नहीं दिया था। हमने अपनी मां को ये संघर्ष करते हुए देखा है, जिससे हमें काफी हौंसला मिलता है कि अगर एक अकेली अनपढ़ महिला अकेले दम पर पूरे समाज से लड़कर हमें पहलवान बना सकती हैं तो हम क्यों नहीं ऐसा कर सकते।

गोल्ड से एक कदम दूर विनेश

विनेश फोगाट ओलंपिक में रेसलिंग के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं हैं। जिसके बाद आज विनेश फाइनल में गोल्ड जीतने के लिए खेलती हुई दिखाई देंगी।

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