सचिन तेंदुलकर के जोरदार शतक पर जब भारी पड़ गए दो विकेट, किसी को नहीं हुआ था यकीन
Sachin Tendulkar: क्रिकेट में आमतौर पर शानदार बल्लेबाजी या गेंदबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया जाता है। इस खेल में हर बल्लेबाज का सपना होता है कि वह अपनी टीम के लिए शतक जड़े और जीत में योगदान दे। जब कोई बल्लेबाज ऐसा करता है तो उसे ज्यादातर मौके पर इस अवॉर्ड से नवाजा जाता है। इस तरीके से किसी खिलाड़ी की प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जाता है। क्रिकेट के खेल में कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है, जिसकी कोई उम्मीद नहीं करता है। एक ऐसा ही वाकया मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ भी हो चुका है, जो मैच में सबसे ज्यादा रन बनाकर भी मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड नहीं जीत पाए।
यह मैच 1999 में श्रीलंका और भारत के बीच हुआ था। दोनों टीमें त्रिकोणीय सीरीज में भिड़ रही थीं, जिसमें तीसरी टीम ऑस्ट्रेलिया थी। कंगारू टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले ही फाइनल में जगह बना ली थी। जब श्रीलंका और भारत के बीच मैच हुआ तो टीम इंडिया अलग माइंडसेट के साथ उतरी थीं। इस मैच में भारत को बड़ी जीत की दरकार थी, जिससे उसका नेट रनरेट श्रीलंका से ज्यादा हो जाए और उसकी फाइनल में जगह पक्की हो जाए।
सचिन ने जड़ा जोरदार शतक
मैच में पहले खेलते हुए भारत ने निर्धारित ओवरों में 296 रनों का टारगेट खड़ा किया। टीम को सचिन तेंदुलकर और सदगोपान रमेश की जोड़ी ने बेहतरीन शुरुआत देते हुए पहले विकेट के लिए 75 रन जोड़े। इस दौरान सचिन ने 141 गेंदों पर 120 रनों की आकर्षक पारी खेली। सचिन के अलावा सौरव गांगुली ने सिर्फ 72 गेंदों पर 85 रनों की पारी खेली। सचिन और गांगुली के दम पर भारत ने 300 के करीब स्कोर बनाया।
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जीत के करीब पहुंच कर भी हार गई श्रीलंका
भारत से मिले 297 के टारगेट के जवाब में श्रीलंका की टीम को सनथ जयसूर्या और मर्वन अट्टापट्टू की जोड़ी ने अच्छी शुरुआत दी। दोनों बल्लेबाजों ने अर्धशतकीय पारी जड़ते हुए पहले विकेट के लिए 105 रन जोड़े। इन दोनों के अलावा महेला जयवर्धने ने भी 62 रनों की तेज पारी खेली। हालांकि श्रीलंका की टीम आखिर में 42 ओवरों में 247 रन ही बना सकी और यह मैच 23 रन से हार गई।
रोबिन सिंह बने मैन ऑफ द मैच
मैच खत्म होने के बाद उम्मीद थी कि सचिन को मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पैनल ने सभी को चौंकाते हुए इस अवॉर्ड के लिए रोबिन सिंह को चुना, जिन्होंने सात ओवरों में सिर्फ 27 रन देकर जयसूर्या और रोमेश कालुविथ्राना के रूप में दो बड़े विकेट झटके। तब पैनल का मानना था कि रोबिन की गेंदबाजी की वजह से ही श्रीलंका का नेट रनरेट कम हो सका।
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