मां-बाप के गुजरने के बाद अमन सहरावत को किसने संभाला? रेसलर ने कही दिल छू लेने वाली बात
Wrestler Aman Sehrawat Interview: भारत के स्टार रेसलर अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। महज 21 साल की उम्र में अमन सहरावत ने पदक जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने फ्रीस्टाइल कुश्ती 57 किग्रा में पदक अपने नाम किया। कम उम्र में सफलता के झंडे गाड़ने वाले अमन सहरावत का सफर इतना आसान नहीं रहा। अमन के मां-बाप बचपन में ही गुजर गए थे। जब वह महज 11 साल के थे, लेकिन अमन का हौसला नहीं टूटा। उन्होंने मां-बाप के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और आज वे सफलता के 'पोडियम' पर खड़े हैं। अमन सहरावत ने न्यूज 24 से खास बातचीत में अपनी सफलता से जुड़े कई राज खोले।
बचपन का सपना
अमन ने कहा- मेरा बचपन से ही सपना था कि ओलंपिक में मेडल लेकर आना है। ये सपना अब पूरा हुआ, लेकिन गोल्ड लाने का सपना अब भी बाकी है। लोगों को लगता है कि सफलता आसानी से मिल जाती है, लेकिन इसके लिए मैंने 10 साल कड़ी मेहनत की। इन 10 साल में मैंने एक दिन का भी रेस्ट नहीं लिया। अमन ने इस दौरान विनेश फोगाट के मामले पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा- वजन बढ़ना बड़ी बात नहीं है। मेरा वजन भी करीब 4.5 किलो बढ़ गया था। जिसे मैंने कम किया, लेकिन हम वजन घटाने के बाद एनर्जी बढ़ाने वाली चीजें लेते हैं। ऐसे में कभी-कभी मेरा भी 3 किलो बढ़ जाता है।
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इस बार कमी रह गई, अगली बार गोल्ड लाऊंगा
फाइट के दौरान दिमाग में क्या चलता है? इसके जवाब में अमन ने कहा- हम लोग पहले से ही प्लानिंग करके आते हैं। शुरू के 4 मिनट में अगर स्कोर क्लोज चला जाए तो कोई बात नहीं, हमें लास्ट के 2 मिनट में जीत के लिए गैप बड़ा बनाना है। अमन ने आगे कहा- इस बार थोड़ी कमी रह गई। मुझे बस इतना ही कहना है कि इस ओलंपिक में जो कमी रही है, वह अगले में न रहे।
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क्या दबाव में थे अमन?
रवि दहिया के नेशनल ट्रायल में बाहर होने के बाद आपको मौका मिला, क्या आप पर मेडल लाने का दबाव था? इसके जवाब में अमन ने कहा- कोच साहब ने यही कहा था कि तेरी भी वैसी ही लड़ाई रहेगी। तुझे उसी हिसाब से तैयारी करनी होगी। मैंने इस मेडल को मां-पापा को समर्पित किया है। वो होते तो अच्छा होता। अगली बार गोल्ड लाऊंगा।
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भाई को दिया सफलता का श्रेय
अमन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने बड़े भाई को दिया। उन्होंने कहा कि वह एयरफोर्स में पदस्थ हैं। मां-बाप के गुजरने के बाद मेरे साथ मेरा भाई था। मेरी सफलता में 60 प्रतिशत उसी की मेहनत है। उन्होंने कभी मुझे मां-बाप की कमी महसूस ही नहीं होने दी।