यूपी मदरसा कानून को हाईकोर्ट ने कहा असंवैधानिक, जानें क्या हैं इस कानून की खास बातें
UP Madarsa Act: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में मदरसों का सर्वे कराया था जिसमें कई चौकाने वाली बातें सामने आईं थीं। ताजा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के खिलाफ है। अपने फैसले में कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे मदरसा में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके। आज शुक्रवार को लखनऊ बेंच ने अंशुमान सिंह राठौड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और सुभाष विद्वार्थी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
सर्वे में 8441 मदरसे बिना मान्यता के मिले
यूपी सरकार की ओर से कराए गए सर्वे में 8441 मदरसे बिना मान्यता के चलते पाए गए थे। 10 सितंबर 2022 से लेकर 15 नवंबर 2022 तक प्रदेश भर के मदरसों का सर्वे कराया गया था। बाद में इसे बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दिया गया था। इस सर्वे में भारत नेपाल सीमा पर सैकड़ों की तादात में ऐसे मदरसे मिले थे जो बिना किसी मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं।
सर्वाधिक अवैध मदरसे मुरादाबाद में
इस सर्वे में प्रदेश के 8441 मदरसों का सर्वे किया गया था। जिसमें सर्वाधिक बिना मान्यता प्राप्त मदरसे मुरादाबाद में 550, बस्ती में 350 और मुज्जफरनगर में 240 मदरसे मिले हैं। जबकि लखनऊ में करीब 100 मदरसे बिना मान्यता के संचालित हैं, प्रयागराज में 90, आजमगढ़ में 132 और कानपुर शहर में 85 से अधिक मदरसे हैं।
फंड की जानकारी नहीं दे पाए ज्यादातर मदरसे
इन मदरसों का सर्वे जहां आधारभूत संरचना को लेकर किया गया था। तो वहीं यह भी जानकारी ली गई कि इन मदरसों में छात्र और अध्यापक कितने हैं। इसके अलावा इनको संचालित किस प्रकार से किया जा रहा है। इन मदरसों की फंडिंग कैसे हो रही है। फंडिंग के सवाल पर ज्यादातर मदरसे सरकार को स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाए हैं।
क्या है कानून
जिस कानून को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना के खिलाफ कहा है। वह कानून यूपी सरकार की ओर से पारित किया गया है। इसे राज्य में मदरसों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था। इस कानून से मदरसों को न्यूनतम मानक पूरा करने पर बोर्ड से मान्यता मिल जाती थी।