चैत्र नवरात्र में करें मां ब्रह्मचारिणी के इन 3 मंदिरों के दर्शन, खास है इनकी मान्यता
Maa Brahmacharini Famous Temple: सनातन धर्म के लोगों के लिए चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है। नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 से हो गई है, जिसका समापन 17 अप्रैल को होगा।
नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के मंदिरों में अलग ही धूम देखने को मिलती है। मंदिरों को खासतौर पर फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। आज हम आपको देश के मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां अगर आप नवरात्र के दौरान जाते हैं, तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में।
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ब्रह्मचारिणी देवी मंदिर
ब्रह्मचारिणी देवी मंदिर, वाराणसी शहर के काशी में स्थित है। मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित यह मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। हर साल नवरात्र के मौके पर यहां पर बड़ी संख्या में लोग मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है।
माना जाता है कि नवरात्र के दूसरे दिन जो भी व्यक्ति यहां पर मौजूद देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति के सामने सिर झुकाकर माथा टेकता है, उस पर सदा मां की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा उसके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
बगोई माता मंदिर
मध्य प्रदेश के देवास जिले के जंगलों में बगोई माता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में मां बगोई की पूजा देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में की जाती है। नवरात्र के दौरान यहां पर मां के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण पहुंचते हैं। माना जाता है कि जब भी किसी व्यक्ति को परजीवी बीमारी होती है और अगर वो यहां पर एक बार माथा टेक लेता है, तो उसकी बीमारी दूर हो जाती है।
मां पूर्वी देवी बाघम्बारी मंदिर
लखनऊ के शास्त्री नगर में देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित मां पूर्वी देवी बाघम्बारी मंदिर स्थित है। हर साल नवरात्र के दूसरे दिन यहां मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन करने के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। इसके अलावा नवरात्र के खास मौके पर मंदिर को फूलों और रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया जाता है। इस मंदिर में खासतौर पर मां ब्रह्मचारिणी को बादाम, काजू और मखाने का भोग लगाया जाता है।
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