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केदारनाथ-बद्रीनाथ से पहले कर लें धारी देवी के दर्शन, नदी के बीच में है मंद‍िर; द‍िन में 3 रूप बदलती हैं देवी

Dhari Devi Mandir: अक्षय तृतीया के दिन से चारधाम यात्रा का आरंभ हो गया है। अगर आप भी चारधाम यात्रा करने जा रहे हैं, तो ऐसे में धारी देवी मंदिर के दर्शन करने न भूलें। आइए जानते हैं धारी देवी मंदिर से जुड़ी मान्यता और महत्व के बारे में।
12:57 PM May 15, 2024 IST | Nidhi Jain
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Dhari Devi Mandir, Uttarakhand: 10 मई 2024 यानी अक्षय तृतीया के दिन से चारधाम यात्रा के लिए केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुल गए हैं। दो दिन बाद यानी 12 मई को श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ के कपाट भी खोल दिए गए हैं। हर साल की तरह इस वर्ष भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए उत्तराखंड पहुंच रहे हैं।

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लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि अगर आप चारधाम यात्रा के दौरान वहां दर्शन नहीं करते हैं, तो आपको पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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धारी देवी मंदिर कहां स्थित है?

सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र में रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच अलकनंदा नदी के ऊपर स्थित है। मंदिर के चारों तरफ पानी ही पानी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चारधाम यात्रा के दौरान धारी देवी मंदिर के भी दर्शन करने चाहिए, क्योंकि इसके बिन चारधाम यात्रा का फल नहीं मिलता है।

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दिन में तीन बार मूर्ति बदलती है अपना रूप

अलकनंदा नदी के बीच में स्थित मंदिर में धारी देवी की प्रतिमा को लेकर एक मान्यता काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि यहां मौजूद धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। सुबह के समय माता की मूर्ति एक कन्या, दोपहर में एक युवती और शाम में वृद्ध महिला का रूप धारण करती है।

केदारनाथ आपदा से भी है कनेक्शन!

16 जून 2013 में केदारनाथ में जल प्रलय आई थी। कहा जाता है कि अलकनंदा नदी पर जीवीके जलविद्युत परियोजना के तहत काम चल रहा था, जिसकी वजह से मंदिर पानी में डूबने वाला था। ऐसे में धारी देवी की मूर्ति को अपने स्थान से हटाकर एक नए मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन मूर्ति को मूल स्थान से हटाने के कुछ समय बाद ही तेज हवाओं के साथ-साथ जोर-जोर से बारिश होने लगी। इसके बाद केदारनाथ में जल प्रलय आ गई।

केदारनाथ में आई आपदा को लोग धारी देवी के क्रोध से जोड़ने लगे, जिसके तुरंत बाद ही धारी देवी मंदिर का निर्माण करवाया गया और माता की मूर्ति को मूल स्थान पर फिर से विराजमान कराया गया।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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