एक मोक्ष का दरवाजा, दूसरा स्वर्ग का रास्ता: 5 पॉइंट में जानें श्रीकृष्ण के द्वारकाधीश मंदिर के रहस्य
Dwarkadhish Mandir Gujarat: गुजरात के द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के 8वें अवतार यानी श्रीकृष्ण को समर्पित है। मंदिर प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा हुआ है, जहां श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। सालभर यहां विभिन्न तरह के कार्यक्रम भी होते रहते हैं। इसके अलावा यहां पर होली के दिन अलग ही धूम देखने को मिलती है। पूरे मंदिर में ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की धुन के साथ-साथ फूलों और रंगों से होली खेली जाती है। द्वारका के लोग इस मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह मंदिर बहुत ज्यादा महत्व रखता है। हालांकि इस मंदिर का महत्व जितना खास है, उतना ही इस मंदिर का समृद्ध इतिहास लोगों को अपनी और खींचता है। आज हम आपको श्रीकृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों और रहस्यों के बारे में बताएंगे।
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किसने करवाया था द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण?
आर्कियोलॉजिस्ट एक्सपर्ट के अनुसार, द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण सबसे पहले 200 ईसा पूर्व में किया गया था। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण लंबे समय तक द्वारका में रहे थे और इसलिए इस जगह को उनके निवास स्थान के तौर पर भी देखा जाता है। हालांकि 16वीं शताब्दी में एक बार फिर मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था।
द्वारका के पीछे की कहानी क्या है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वारका को श्रीकृष्ण के राज्य की राजधानी माना जाता है। जहां उन्होंने मथुरा छोड़ने के बाद करीब 36 वर्षों तक शासन किया था। कहा जाता है कि जिस जगह पर श्रीकृष्ण का महल था, उसी जगह पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
द्वारकाधीश मंदिर की मूर्ति का क्या है रहस्य?
इसके अलावा द्वारकाधीश मंदिर का एक रहस्य भी है। जानकारों के मुताबिक, कहा जाता है कि मंदिर के अंदर जो मुख्य मूर्ति है। उसमें रहस्यमय चुंबकीय गुण है, जो धातु से बनी हर चीज को अपनी और खींचती है। हालांकि मंदिर में मौजूद मूर्ति के अंदर क्या है, इस बात का खुलासा न तो अभी तक वैज्ञानिकों से हुआ और न ही धार्मिक गुरुओं से।
द्वारकाधीश में कितने द्वार हैं?
बता दें कि ये मंदिर पांच मंजिल का है, जो कि केवल 72 स्तंभों पर टिका है। इसके अलावा मंदिर को बनाने के लिए केवल चूना, पत्थर और रेत का ही इस्तेमाल किया गया है। वहीं मंदिर में दो मुख्य द्वार हैं। मंदिर का जो मुख्य प्रवेश द्वार है, उसे मोक्ष द्वार और मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है। वहीं दूसरे द्वार को स्वर्ग द्वार और स्वर्ग का द्वार कहा जाता है।
मीराबाई कौन से मंदिर में समाई थी?
श्रीकृष्ण की भक्त मीरा बाई का नाम तो आपने सुना ही होगा। वो हर समय श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहती है। कहा जाता है कि मीरा बाई इसी मंदिर में मौजूद श्रीकृष्ण की मूर्ति में विलीन हो गई थीं, जिसके बाद उन्हें फिर कभी नहीं देखा गया है। इस मंदिर में श्रीकृष्ण के अलावा राधा रानी और मीरा बाई की भी कई स्मारक मौजूद है।
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