होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

काशी के इस घाट पर खेली जाती है चिता की राख और भस्म से होली, जानिए क्या है इसका महत्व

Manikarnika Ghat Kashi: अभी तक आपने मथुरा की लठमार होली, बरसाने की रंगों वाली होली और वृंदावन की फूलों वाली होली के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी चिता की राख और भस्म से होली खेलनी की परंपरा के बारे में सुना है। अगर नहीं, तो आइए जानते हैं देश में कहां पर चिताओं के बीच होली खेली जाती है। 
08:00 AM Mar 18, 2024 IST | Nidhi Jain
Advertisement

Manikarnika Ghat Kashi: हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। होली के दिन देश में अलग ही धूम देखने को मिलती है, जहां कई लोग घर में अपने परिवार वालों के साथ होली खेलते हैं, तो वहीं कुछ होली के दिन देश के मंदिरों में दर्शन करने के लिए भी जाते हैं।

Advertisement

अगर इस बार आप भी होली के दिन रंगों के साथ-साथ भक्ति में भी लीन होना चाहते हैं, तो आज हम आपको देश के एक ऐसे घाट के बारे में बताएंगे। जहां रंगों और रंग-बिरंगे फूलों के साथ तो होली खेली ही जाती है। इससे पहले चिता की राख और भस्म से होली खेली जाती है। आइए जानते हैं इस घाट से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में।

ये भी पढ़ें- फूलों से लेकर भस्म तक, देश के इन प्रसिद्ध मंदिर में खास तरीके से खेली जाती है होली

Advertisement

भस्म से होली क्यों खेली जाती है?

उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिका घाट और महाश्मशान हरिश्चन्द्र घाट स्थित है। यहां सबसे अलग तरीके से होली खेली जाती है। काशी के इस शहर में चिता की राख और भस्म से होली खेली जाती है। खास बात ये है कि जलती चिताओं के बीच होली सिर्फ यहीं खेली जाती है। इसके अलावा कहीं पर भी किसी राज्य में चिता की राख और भस्म से होली नहीं खेली जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर साल रंगभरी एकादशी के दिन हरिश्चंद्र घाट पर महादेव के भक्त चिता की राख और भस्म से होली खेलते हैं। वहीं रंगभरी एकादशी के अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर होली खेली जाती है। होली खेलने के लिए हर साल यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, काशी में इस बार होली से चार दिन पहले 21 मार्च 2024 को चिता की राख और भस्म से होली खेली जाएगी।

क्यों खेली जाती है चिता की भस्म से होली?

आपको बता दें कि काशी में इस तरह होली खेलने की परंपरा बहुत पुरानी है। माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन शिव जी, मां पार्वती से विवाह करने के बाद उन्हें अपने साथ अपने धाम लेकर आए थे। जहां उन्होंने भूत, प्रेत, गण, निशाचर और पिशाच आदि के साथ भस्म की होली खेली थी। तब से लेकर आज तक मणिकर्णिका घाट और महाश्मशान हरिश्चन्द्र घाट पर इस तरह होली खेली जाती है।

ये भी पढ़ें- होली मनाने वृंदावन आएं तो इस मंदिर में भी जाएं, मिलेगा श्रीकृष्ण का ‘प्रेम’, गोपियों की लीला

Open in App
Advertisement
Tags :
Hindu TempleManikarnika GhatManikarnika Ghat Of Kashi
Advertisement
Advertisement