फोन में बैटरी कम तो किराया ज्यादा? भारत में कैब कंपनियों का नया 'घोटाला'
Ola Uber News: आपके फोन की बैटरी और ओला-उबर जैसी ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के किराए में क्या कोई संबंध है? क्या फोन की बैटरी कम होने पर कैब बुक करते समय कंपनियां किराया बढ़ाकर दिखाती हैं? एक सर्वे में तो लोगों ने ऐसा ही दावा किया है। लोगों का कहना है कि कम बैटरी वाले फोन से कैब बुक करने पर किराया 100 से 200 रुपये तक अधिक दिखता है।
एंड्रॉयड Vs आईफोन में भेदभाव
यात्रियों के इन आरोपों से कैब कंपनियों की कार्यप्रणाली पर नए सवाल खड़े हो गए हैं। अभी कुछ दिन पहले कैब कंपनियों पर एंड्रॉयड और आईफोन यूजर्स में भेदभाव करने के आरोप सामने आए थे। कहा जा रहा है कि जब कोई यूजर आईफोन से कैब बुक करता है तो उसे ज्यादा किराया दिखाया जाता है। ऐसी शिकायतों पर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे ग्राहकों के साथ धोखा बताया है।
नए सर्वे में गंभीर आरोप
ये मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि अब सोशल मीडिया रिसर्च प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल के एक हालिया सर्वे में कैब कंपनियों के नए घोटाले की तरफ इशारा किया गया है। इस सर्वे में यूजर्स ने ओला, उबर, रैपिडो, ब्लू स्मार्ट जैसी कंपनियों की कैब बुकिंग और किराए में घोटाले का आरोप लगाया है। यह सर्वे देश के 269 जिलों के 33 हजार से अधिक लोगों की राय के आधार पर तैयार किया गया है।
सर्वे में 42 फीसदी यूजर्स ने दावा किया कि कंपनियां अक्सर हिडन चार्ज लगाती हैं यानी राइड के आखिर में चुपके से किराया बढ़ा देती हैं। 78 फीसदी लोगों का कहना था कि कंपनियां जानबूझकर वेट टाइम कम करके दिखाती हैं। बुकिंग करते वक्त कैब आसपास दिखाती हैं लेकिन बुकिंग के बाद लोकेशन तक पहुंचने में ड्राइवर उससे कहीं ज्यादा समय लगाते हैं। सर्वे में 84 फीसदी लोगों ने कंपनियों पर बुकिंग के बाद राइड कैंसल करने पर मजबूर करने का भी आरोप लगाया।
कुछ यूजर्स ने दावा किया है कि अनुमानित लोकेशन के साथ कैब बुकिंग करने पर किराया कम दिखता है और एग्जेक्ट लोकेशन बताने पर किराया बढ़ा दिया जाता है। कई मामलों में तो ये बढ़ोतरी 100 से 200 रुपये तक हो जाती है। यूजर्स का दावा है कि ये बढ़ोतरी उस समय और भी ज्यादा दिखती है, जब आपके फोन की बैटरी कम हो। ये लोगों के निजी डेटा के गलत इस्तेमाल की तरफ भी इशारा करता है।
विदेश में भी लगे आरोप
भारत में ही नहीं, विदेशों में भी कैब कंपनियों पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं। पिछले साल बेल्जियम के अखबार Dernière Heure ने उबर को लेकर एक सर्वे किया था। इसमें फोन की बैटरी और कैब के किराए में अंतर को स्पष्ट किया गया था। दावा किया कि फोन में 84 पर्सेंट बैटरी होने पर अगर आप कैब बुक करते हैं तो उसी यात्रा के लिए 12 पर्सेंट बैटरी वाले फोन से बुकिंग करने पर किराया 6 फीसदी तक बढ़ जाता है। जाहिर है, उबर ने आरोपों का खंडन किया। अब भारत में भी इसी तरह के आरोप सामने आ रहे हैं। इस मामले में ओला, उबर का पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।