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भूतड़ी अमावस्या के दिन लगा भूतों का मेला, रातभर होती रही पेशी; देखें वीडियो

Bhutdi Amavasya : सर्व पितृ अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष के खत्म होने का संकेत माना जाता है। इस दिन मध्य प्रदेश के दो शहरों में भूतों का मेला लगता है।
05:08 PM Oct 02, 2024 IST | Avinash Tiwari
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Bhutdi Amavasya : मध्य प्रदेश के उज्जैन, सीहोर समेत कई शहरों में सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। भीड़ अपने पितरों की शांति और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए शिप्रा और नर्मदा नदी में स्नान करने पहुंची थी। उज्जैन और सीहोर में इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं जिसे भूतड़ी अमावस्या या भूतों का मेला भी कहा जाता है। आइये जानते हैं कि आखिर क्या है भूतड़ी अमावस्या?

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सर्व पितृ अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष के खत्म होने का संकेत माना जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि उज्जैन में हर साल सर्व पितृ अमावस्या पर भूतों का मेला लगता है। इस मेले का आयोजन इस साल भी किया गया। बुधवार 2 अक्टूबर को भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। बड़ी संख्या में लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए यहां पहुंचे थे।

उज्जैन के केडी पैलेस पर बने 52 कुंडों में स्नान करने से बुरी आत्माओं से छुटकारा मिलता है। श्रद्धालुओं ने यहां डुबकी लगाकर आत्माओं से मुक्ति पाने का प्रयास किया। सीहोर के बुधनी के अवलीघाट को भी विशेष माना गया है। बताया जाता है कि अवलीघाट पर रात भर बैठक होती है और यहां देवी देवता घूमते हैं। यहां बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं।


कहा जाता है कि बुधनी में उन लोगों का स्नान जरूरी माना गया है, जिनके शरीर में देवी देवताओं का वास होता है या जिनके शरीर में बुरी आत्माएं रहती हों। भूतड़ी अमावस्या के दिन स्नान करने से इस तरह की समस्याओं से इंसान को छुटकारा मिलता है। इसी उम्मीद में लोग स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। (हम इस खबर के माध्यम से किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देना चाहते!)

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अब शुरू होने वाली है नवरात्रि!

नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से होने वाली है। नवरात्रि का समापन 12 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ होगा। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा पूजा, चौथे दिन मां कूष्‍मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन- मां कात्यायनी, सातवें दिन - मां कालरात्रि, आठवें दिन - मां महागौरी, नौंवें दिन - मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है।

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