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आधी रात को क्यों होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार? ये है वजह

Transgender Last Rites : किन्नर समाज के लोग अपने साथी की मौत को बेहद गुप्त रखते हैं। वह किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने देते इसीलिए वह अंतिम संस्कार रात में करते हैं। इतना ही नहीं, किन्नर मृत के शरीर को चप्पलों से पीटते हैं, आइये जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है?
05:10 PM Feb 19, 2024 IST | Avinash Tiwari
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Transgender Last Rites: किन्नर समाज से जुड़े लोगों की दुनिया अपने आप में अनोखी और रहस्यमयी है। कई लोग किन्नरों की दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। हालांकि किन्नर समाज में जब किसी की मौत हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार बेहद रहस्यमयी तरीके से किया जाता है, इसके पीछे कई कारण बताये जाते हैं।

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कहा जाता है कि किन्नरों को मौत का पहले से ही आभास हो जाता है और वह पहले से ही खाना पीना बंद कर देते हैं। इस दौरान वह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें और किसी अन्य को फिर किन्नर ना बनाएं। किन्नर की मौत के बाद किसी को भी इसके बारे में नहीं बताया जाता और ना ही किसी को इसकी भनक लगने दी जाती है।

अंतिम विदाई के वक्त होती है चप्पलों से पिटाई

कहा जाता है कि जिस किन्नर की मौत होने वाली होती है लोग बड़ी संख्या आशीर्वाद लेने पहुंच जाते हैं। मरते हुए किन्नरों के आशीर्वाद में बड़ी ताकत मानी जाती है। कहा तो भी यह जाता है किजब किन्नर की मौत हो जाती है तो उन्हें अंतिम विदाई देते समय चप्पलों से पीटा जाता है।

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हैरानी की बात ये है कि किन्नर ऐसे वक्त में शव यात्रा निकालते हैं कि उन्हें कोई देख ना पाए। मान्यता है कि अगर किसी मृत किन्नर को कोई देख ले तो वह अगले जन्म में भी किन्नर होगा। अंतिम संस्कार को बेहद गोपनीय रखा जाता है और अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों को किसी को भी इसकी जानकारी ना देने की सख्त हिदायत होती है। रात में ज्यादातर लोग घर में होते हैं, इसीलिए रात में अंतिम संस्कार किया जाता है।

शव को लिटाते नहीं बल्कि
अक्सर मृत शरीर को अर्थी पर लिटाकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है लेकिन किन्नरों में ऐसा नहीं है। किन्नर समाज के लोग मृत शरीर को सिर्फ कफन में लपटाते हैं लेकिन बांधते नहीं है। कहते हैं कि बांधने से आत्मा को शरीर छोड़ने में परेशानी होती है।

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ज्यादा जीते हैं किन्नर
एक शोध में पता चला कि अन्य लोगों की तुलना में किन्नर अधिक समय तक जिंदा रहते हैं। कोरियाई प्रायद्वीप में रहने वाले किन्नरों पर अध्ययन किया किया गया, जहां से यह जानकारी निकलकर सामने आई। कहा गया कि बधियाकरण के कारण किन्नर ज़्यादा दिनों तक जिंदा रहते हैं।

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