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दर्द-बुखार के नाम पर Sick Leave लेने वाले अलर्ट! निगरानी में जुटीं इस देश की कंपनियां

Sick Leave: जर्मनी में कंपनियां सिक लीव लेने वाले कर्मचारियों की जासूसी कर रही हैं, जिसमें प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर्स को मोटी रकम देकर सच्चाई पता की जा रही है कि ले सच में बीमार है या केवल झूठ बोल रहे हैं। इससे कंपनियां नुकसान और धोखाधड़ी से बचने की कोशिश कर रही हैं।
06:40 PM Jan 13, 2025 IST | Ankita Pandey
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Sick Leave: प्राइवेट जॉब में अक्सर छुट्टी के मांगना थोड़ा मुश्किल टास्क हो जाता है। ऐसे में कभी-कभार हम तबीयत खराब होने या बीमार होने के नाम पर छुट्टी ले लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंपनी आपकी जासूसी कर सकती है। जी हां, जर्मनी में ऐसा ही कुछ हुआ है, जहां कंपनियों पर सिक लीव मांगने वाले कर्मचारियों की जासूसी करने का आरोप लगाया जा रहा है। आइए इस मामले के बारे में जानते हैं।

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कंपनियों को हो रहा नुकसान

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी में कई कंपनियां इस बात से परेशान हैं कि बहुत से कर्मचारी बीमार होने के बाद छुट्टी मांग रहे हैं। कुछ कंपनियों में तो लोग सिर्फ बीमारी का हवाला देकर 40 से 100 दिन की छुट्टी ले रहे हैं। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा कलेक्ट किए गए डेटा के अनुसार बीमारी के कारण जर्मन लोग औसतन 2023 में अपने काम के घंटों का 6.8 प्रतिशत सिक लीव के नाम पर गंवा देते हैं। इतना ही नहीं फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे अन्य यूरोपीय संघ के देशों में स्थिति और ज्यादा खराब है।

जासूसी एजेंसियों की मदद

इसके कारण जर्मन कंपनियां बहुत प्रभावित हो रही हैं। बता दें कि ये पहले से ही मैन्युफैक्चरिंग स्लोडाउन के साथ-साथ एक्सपोर्ट की मांग में कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में कंपनियों को इस बात पर संदेह है कि उनके कर्मचारियों की छुट्टी का कारण सही है या यह सिर्फ एक बहाना है। सच्चाई जानने के लिए वे जासूसी एजेंसियों की मदद ले रहे हैं। इन एजेंसियों को पैसे देकर वे यह पता लगा पाते हैं कि कर्मचारी झूठ बोल रहा है या सच।

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दी जाती है मोटी रकम

प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर मार्कस लेंट्ज ने AFP को बताया कि उन्होंने अलग-अलग कंपनियों से रिकॉर्ड नंबर में रिक्वेस्ट देखी हैं, जिसमें उनकी एजेंसी से उन कर्मचारियों की जांच करने मांग की है, जिन पर उनको संदेह है कि वे काम पर न आने के लिए बीमार होने का नाटक कर रहे हैं  हालांकि इन एजेंसियों को दी जाने वाली फीस की राशि का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन बताया जा रहा है कि वे मोटी फीस लेने के बाद ही अपनी जांच शुरू करते हैं।

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