गुजरात में एक गांव ऐसा, जहां घरों में नहीं बनता खाना, ऐसे मिटाते हैं भूख
Viral News: रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरत होती हैं। अच्छी सेहत के लिए अच्छा और हेल्दी खाना बहुत जरूरी होता है। लोग पैसा कमाते हैं ताकि वो अच्छे से अच्छा जीवन बिता सकें। लेकिन एक गांव ऐसा है जहां के एक भी घर में खाना नहीं बनता है। सबके घर में रसोई हैं लेकिन खाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसे कैसे हो सकता है कि पूरा गांव ही खाना ना बनाए? फिर वह सब लोग खाना कहां से लाते हैं? इन सारे सवालों के जवाब आज आपको देंगे।
गांव में सामुदायिक रसोई
गुजरात में एक गांव ऐसा है जहां पर लोगों ने अपने घरों में खाना बनाना छोड़ दिया है। यहां पर यह परंपरा बुजुर्गों में अकेलेपन की बढ़ती समस्या के समाधान के रूप में शुरू की गई। इस गांव में घरों में खाना ना बनाकर एक सामुदायिक रसोई में खाना पकाया जाता है। इसमें दिन में दो बार खाना मिलता है, जिसके लिए हर घर से महीने के 2000 का भुगतान किया जाता है। इसको शुरू करने वाले गांव के सरपंच पूनमभाई पटेल थे। इस पहल से गांव में एकता बढ़ी है।
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बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा
इस रसोई को चलाने का मकसद यहां के निवासियों के स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों में सुधार लाना है। उनकी इस पहल से दूसरे गांवों में भी एकता पैगाम जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस गांव में सबसे ज्यादा संख्या बुजुर्गों की है। यह परंपरा बुजुर्गों में अकेलेपन की बढ़ती समस्या के समाधान के रूप में शुरू हुई थी। इस गांव के युवा शहरों या विदेश में जाकर बस गए हैं। एक वक्त पर इस गांव की संख्या 1100 लोगों की थी, जिसमें अब केवल 500 लोग ही बचे हैं।
खाना बनाने के लिए रोज बाहर से रसोइया आता है। लगभग 11 हजार रुपये महीने का भुगतान रसोइये को किया जाता है। इस रसोई में कई तरह की पारंपरिक गुजराती डिशिज बनाई जाती हैं। खाना खाने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाला एक AC हॉल बना हुआ है। यह दिखाता है कि कैसे एक साधारण विचार महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
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