स्विट्जरलैंड अगर ऐसा तो क्यों बर्बाद करें पैसा? Viral Video देख अच्छा लगेगा भारत
Railway Viral Video: भारतीय रेल को गंदगी, लेट लतीफी आदि के कारण खूब ट्रोल किया जाता है। रेल विभाग का मजाक भी उड़ाया जाता है। अन्य देशों की ट्रेनों से तुलना की जाती है। एक वीडियो वायरल हो रहा है। दावा किया गया है कि ये ट्रेन स्विट्जरलैंड के जिनेवा की है। ट्रेन में इतनी गदंगी है, जिसे देखकर आपका मन खराब हो सकता है। यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया गया है।
ट्रेन का वीडियो हो रहा वायरल
वीडियो में दिखाई दे रहा है कि ट्रेन के लगभग सभी कोच गंदे पड़े है। बताया गया कि यह दृश्य तब का है, जब यात्री यात्रा पूरी होने के बाद ट्रेन से उतर गए थे। ट्रेन की फर्श पर पानी बिखरा हुआ है, इधर उधर कूड़ा पड़ा हुआ है। खाली पानी की बोतलें , खाने के पैकेट्स आदि दिखाई दे रहे हैं। सीट पूरी तरह गंदी हो चुकी है और तो और वीडियो में एक जगह बोतल के साथ गिलास भा रखा हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने वहां बैठकर ड्रिंक किया हो।
कुल मिलाकर देखें तो यह ट्रेन बेहद गंदी है। यह वीडियो इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि अधिकतर लोग स्विट्जरलैंड और वहां की सफाई की जमकर तारीफ करते हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है कि जिनेवा ट्रेन में यात्रियों ने इस तरह गंदगी छोड़ी है लेकिन भारतीयों में नागरिक भावना नहीं है। वीडियो शेयर कर शख्स ने बताया कि ट्रेन की ये हालत कुछ फुटबॉल प्रेमियों ने की है।
वीडियो देखने के बाद कुछ लोगों का कहना है कि एक दो ट्रेन का उदहारण देकर आप भारत की सभी ट्रेनों को सही नहीं ठहरा सकते। जबकि कुछ का कहना है कि ट्रेन में जब लोग यात्रा करते हैं तो गंदी तो होगी ही। एक ने लिखा कि कहना क्या चाहते हो कि भारतीयों में समझ की भावना नहीं है। जिनेवा भी उसी समस्या का सामना कर रहा है, जो उनके लिए भी बुरी है। लेकिन सिर्फ इसलिए कि जिनेवा इस समस्या का सामना कर रहा है, भारत में नागरिक समझ का अभाव कहना ठीक नहीं है।
हालांकि इस पोस्ट को देखने के बाद कई लोग भड़क गए। कुछ का कहना है कि इस मामले में भारत को क्यों घसीटा? कौन कहता है कि भारतीय लोगों के अंदर नागरिकता की भावना नहीं है। जबरदस्ती भारतीयों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
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एक ने लिखा कि 100 में से 1 गंदी ट्रेन दिखाओ और इंडिया के 99 गंदी ट्रेन को जस्टिफाई करो। एक ने लिखा कि हर जगह लोग और आदतें एक जैसी होती हैं। सच तो यह है कि सख्त नियमों से ही उचित नागरिक भावना पैदा होती है और फिर यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है। एक अन्य ने लिखा कि अगर वह गलती कर रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि हम अपनी गलती को सही कहें। हमारी ट्रेनें गंदी होती थी, सुधार हुआ और अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है।