क्यों कन्नौज से खुद चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव? 48 घंटे में कैसे लालू के दामाद को हटाने की आई नौबत
UP Lok Sabha Election : देश में लोकसभा चुनाव 2024 का महासमर चल रहा है। इस बार समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर उम्मीदवार बदले। पार्टी ने दो दिन पहले कन्नौज सीट से आरजेडी के अध्यक्ष लालू यादव के दामाद और अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन 48 घंटे में इस सीट से प्रत्याशी बदलने की नौबत आ गई। अब सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव इत्र की नगरी से चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि अखिलेश यादव गुरुवार दोपहर 12 बजे कन्नौज लोकसभा से सपा के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने कन्नौज से अखिलेश यादव के चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है। वे गुरुवार को इस सीट से नामांकन करेंगे। इससे पहले सपा मेरठ, बदायूं, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर और मिश्रिख सीट पर प्रत्याशी बदल चुकी है। अब बड़ा सवाल उठता है कि आखिर अखिलेश यादव को कन्नौज सीट से क्यों चुनाव लड़ना पड़ रहा है?
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लोकल स्तर पर तेज प्रताप को हुआ विरोध
कन्नौज में तेज प्रताप को प्रत्याशी बनाए जाने का पार्टी ने लोकल स्तर पर विरोध जताया। इसे लेकर कन्नौज सपा नेताओं के एक डेलिगेशन ने अखिलेश यादव से मुलाकात की। उन्होंने तर्क दिया कि कन्नौज में एक बड़ी आबादी है, जो तेज प्रताप का नाम नहीं जानता है। स्थानीय नेता कन्नौज में किसी भी तरह से पार्टी की स्थिति कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं। ऐसे में सपाइयों ने अखिलेश से मांग की कि वे खुद चुनाव लड़ें।
कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है सपा
लोकल लीडर और वर्कर की नाराजगी से मिले इनपुट के बाद समाजवादी पार्टी कन्नौज को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है, इसलिए पार्टी ने तेज प्रताप यादव को इस सीट से हटा दिया और उनकी जगह अखिलेश यादव को उम्मीदवार बना दिया। ऐसी स्थिति रामपुर में देखने को मिली थी। रामपुर के लोकल सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बसपा उम्मीदवार को सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया था।
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अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने का क्यों किया फैसला
कन्नौज समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। 1998 से 2019 तक इस सीट पर सपा का कब्जा रहा। सपा से प्रदीप यादव साल 1998 में जीते थे और 1999 में मुलायम सिंह कन्नौज से सांसद बने। मुलायम सिंह के बाद अखिलेश यादव इस सीट से सांसद बने। हालांकि, पिछले चुनाव 2019 में सपा के हाथ से यह सीट निकल गई थी। यहां से डिंपल यादव भी सांसद रही थीं। ऐसे में सपा एक बार फिर कन्नौज को पाना चाहती है, इसके लिए अखिलेश यादव ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया।