उत्तराखंड में क्या फिर आएगी जल प्रलय? बारिश से पहले ही आई बड़ी मुसीबत, खतरे में एशिया का सबसे बड़ा बांध!
Uttarakhand News: (अमित रतूड़ी, केदारनाथ) साल 2013 की केदारनाथ त्रासदी को शायद ही कोई भूल पाए। जून के महीने में ही जो जल-प्रलय आई, वो अपने साथ हजारों जिंदगियों को बहा ले गई। ऐसे जख्म दिए, जो एक दशक के बाद भी भर नहीं पाए हैं। अब भीषण गर्मी की वजह से एक बार फिर देवभूमि उत्तराखंड पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। जहां एक ओर पूरा देश भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। वहीं, अब पहाड़ भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। धीरे-धीरे अब पहाड़ों के तापमान में भी बदलाव देखा जा रहा है।
इसके चलते टिहरी जिले के खतलिंग ग्लेशियर से निकलने वाली भिलंगना नदी और गोमुख उद्गम स्थल से निकलने वाली भागीरथी नदी के प्रवाह में बढ़ोतरी हो रही है। गंगा की दोनों सहायक नदियों के प्रवाह में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण ग्लेशियर हैं। क्योंकि पहाड़ों में अभी बहुत ज्यादा बारिश शुरू नहीं हुई है। इसके बावजूद नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। टीएचडीसी टिहरी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी बांध परियोजना में कुछ कार्य गतिमान में हैं। जिसके चलते टीएचडीसी द्वारा विद्युत उत्पादन रोका गया है। हालांकि कुछ हद तक पानी पर्यावरण को मद्देनजर रखते हुए छोड़ा भी जा रहा है।
भागीरथी और भिलंगना नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी
सिविल कार्य के लिए THDC ने भारत सरकार और यूपी सरकार से अनुमति ली है, जिसके लिए दोनों सरकारों ने अनुमति प्रदान की है। टीएचडीसी झील के गेट बंद होने और नदी के बढ़ते प्रभाव से टिहरी झील में लगातार पानी की बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, टिहरी झील के वर्तमान वाटर लेवल की बात की जाए तो जलस्तर बढ़कर 766.71 मीटर तक पहुंच गया है। जबकि भिलंगना नदी के प्रवाह की बात की जाए तो जल प्रवाह 53.50 और भागीरथी नदी में 183.05 वेग के साथ बह रहा है। इस कारण टिहरी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। वहीं, पिछले साल की बात करें तो टिहरी झील का जलस्तर अधिकतम 741 आरएल मीटर तक पहुंच गया था। हर साल टिहरी झील से लगभग 5 हजार यूनिट तक बिजली का उत्पादन होता है।