यूपी में मंदिर पॉलिटिक्स; राम मंदिर के बाद बनेगा शिव मंदिर, बीजेपी नहीं सपा को होगा फायदा!
Etawah Lord Shiva Temple: राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव को लेकर उत्साहित दिखाई दे रही है। बीजेपी ने राम मंदिर के जरिए करोड़ों वोटर्स को अपने पक्ष में करने की उम्मीद की है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद अब उत्तर प्रदेश में 'मंदिर पॉलिटिक्स' शुरू हो गई है।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भव्य शिव मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण इटावा में हो रहा है। जिसके जरिए समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ रही है। आइए आपको इस मंदिर के बारे में पूरी जानकारी बताते हैं...
केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहा है मंदिर
इटावा जिले में बन रहे शिव मंदिर का नाम केदारेश्वर बताया जा रहा है। खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर किया जा रहा है। यानी इस मंदिर में केदारनाथ की झलक देखने को मिलेगी। सबसे अहम बात यह है कि इस मंदिर को बीजेपी नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव बनवा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, मंदिर का निर्माण इटावा के सीतलपुर गांव के सामने करीब 2 एकड़ जमीन पर किया जा रहा है। इसमें नंदी जी की 10 फीट की मूर्ति भी होगी।
सपा के कई नेता इस मंदिर का प्रचार करते नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी हिंदुत्व की राह पर चलकर वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है। इस मंदिर का करीब चार साल पहले लायन सफारी के सामने निर्माण शुरू किया गया था। मंदिर निर्माण का लगभग 5 प्रतिशत काम ही बाकी है और ये जल्द ही दर्शन के लिए खुल सकता है। हालांकि अभी उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर जानकारी सामने नहीं आई है।
2 हजार साल तक बरकरार रहेगा निर्माण
मंदिर के कारीगरों की मानें तो अखिलेश यादव भोलेनाथ के अनन्य भक्त हैं। उन पर शिवजी की कृपा है। इसलिए यहां ये भव्य मंदिर बन रहा है। बताया जा रहा है कि इस मंदिर के लिए शालिग्राम शिला को नेपाल से लाया गया है। मंदिर का निर्माण इस तरह से किया जा रहा है जिससे यह करीब 2 हजार साल तक बरकरार रहे। इसका पत्थर कन्याकुमारी से लाया गया है। जो कि करीब 4 लाख साल पुराना बताया जाता है।
बता दें कि पिछले दिनों विधानसभा में लाए गए राम मंदिर धन्यवाद प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी में दो फाड़ हो गए थे। सपा के 14 विधायकों ने इसका विरोध किया था। इससे पहले अखिलेश यादव ने राम मंदिर कार्यक्रम का न्योता स्वीकार किया, लेकिन दर्शन करने नहीं गए। इसे लेकर विपक्ष उन पर लगातार हमलावर है।
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