Hathras Stampede: वो वजह Compressive Asphyxia क्या? जिसने चंद पलों में ली 121 लाेगों की जान
उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। मंगलवार को हुए इस भयावह हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। घटना को लेकर प्रशासन की लापरवाही पर खूब सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि भगदड़ में लोग विवेक को खो बैठते हैं और उनके अंदर डर इतना भर जाता है कि खुद को बचाने के लिए किसी और की परवाह नहीं कर पाते। ऐसे में लोगों के बीच कंप्रेसिव एस्फिक्सिया की स्थिति बन जाती है जो कुछ ही पलों में जान ले लेती है। इस रिपोर्ट में जानिए एस्फिक्सिया आखिर क्या है और ये शरीर को किस तरह से प्रभावित करता है।
क्या होता है Compressive Asphyxia?
एटा के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम मोहन तिवारी के अनुसार लगभग सभी मामलों में मृत्यु का कारण एस्फिक्सिया ही रहा। एस्फिक्सिया का मतलब दम घुटना ही होता है। जब ऐसी स्थिति बनती है कि व्यक्ति सांस नहीं ले पाता है तो इसे एस्फिक्सिया कहा जाता है। भगदड़ की स्थिति बनने पर भीड़ बहुत हो जाती है। जगह बहुत संकुचित हो जाती है। पूरा शरीर दबने लगता है। ऐसे में शरीर के श्वसन तंत्र को काम करने में मुश्किल होने लगती है जिसकी वजह से व्यक्ति सांस नहीं ले पाता। ऐसे में दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और ब्रेन डेड होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे तुरंत मौत हो सकती है।
इसलिए थोड़ी ही देर में जा सकती है जान!
दरअसल, सांस लेने की प्रक्रिया में पहले हवा फेफड़ों में जाती है। वहां से ऑक्सीजन खून में पहुंचती है जो इसे पूरे शरीर में पहुंचाता है। इसके बाद सांस छोड़ने पर कार्बन डाई ऑक्साइड यानी सीओ2 बाहर निकल जाती है। जब इस पूरी प्रक्रिया में समस्या आने लगती है तो सीओ2 बाहर नहीं निकल पाती। सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। थोड़ी ही देर में दिमाग के साथ-साथ शरीर के अन्य अंग भी काम करना बंद करने लगते हैं। हालांकि, अगर एस्फिक्सिया से जूझ रहे किसी व्यक्ति को तुरंत मेडिकल मदद मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन, भगदड़ की स्थिति में ऐसा कम ही हो पाता है।
ये भी पढ़ें: कैसे मच जाती है भगदड़? फंस जाएं तो कैसे रहें सेफ?
ये भी पढ़ें: बाबा के ‘चरणों की मिट्टी’ ने मचा दिया मौत का तांडव!
ये भी पढ़ें: हाथरस में 121 मौतों का जिम्मेदार बाबा बेकसूर कैसे?