जूनागढ़ के निजाम ने टेके घुटने, अब्दाली को हटना पड़ा पीछे, जब जूना अखाड़े की जांबाजी ने कर दिया हैरान
Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा। खास बात यह है कि यूपी सरकार ने प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र को नया जिला घोषित कर दिया है। प्रयागराज में देश-दुनिया से साधु-संत जुटेंगे। इसे लेकर सरकार युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है। इन साधु-संतों में कई नागा साधु भी शामिल होंगे। ये नागा साधु 12 साल के बाद स्नान कर अपने तप और साधना को सिद्ध करेंगे। इन साधुओं में जूना अखाड़ा के साधु भी शामिल होंगे। ये वही जूना अखाड़ा है, जिसने कभी मुगल शासकों की चूलें हिला दी थीं। आइए जानते हैं कि जूना अखाड़े का गौरवशाली इतिहास क्या है?
जूनागढ़ के निजाम से ले चुके लोहा
बताया जाता है कि भैरव अखाड़ा (जूना अखाड़ा) के संतों ने राजस्थान में बीकानेर के जूनागढ़ के निजाम से लोहा लिया था। उन्होंने जंग के दौरान अपने युद्ध कौशल से प्रभावित किया। आखिरकार जूनागढ़ के निजाम को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा। संन्यासियों के पराक्रम का आलम ये था कि जूनागढ़ के निजाम को संन्यासियों को संधि करने के लिए बुलाना पड़ा।
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धोखे से दे दिया जहर
हालांकि, यहां उन्हें धोखे से खाने में जहर दे दिया गया। बताया जाता है कि इसके बावजूद भोजन करने वाले कुछ संन्यासी बच गए। इन संन्यासियों ने बाद में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की शुरुआत की। साल 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में जूना अखाड़े का पहला मठ भी स्थापित किया गया था।
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शिव संन्यासी संप्रदाय से जुड़ा है अखाड़ा
इस अखाड़े को शिव संन्यासी संप्रदाय का फॉलोअर माना जाता है। इसके सभी सात अखाड़ों में इसे सबसे बड़ा माना जाता है। इससे करीब 5 लाख नागा साधु जुड़े हैं। कभी ये संन्सासी शस्त्र विद्या में इतने निपुण थे कि उन्होंने अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली से भी लोहा ले लिया था। मथुरा-वृंदावन के बाद अब्दाली गोकुल फतह करने जा रहा था, लेकिन जूना अखाड़े के संन्यासियों ने उसे रोक दिया। जूना अखाड़े की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।
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5 हजार नए नागा संन्यासी
जूना अखाड़े के संन्यासी सोने, चांदी के सिंहासन पर सवार होकर शाही स्नान के लिए निकलेंगे। वे अस्त्र-शस्त्र के साथ जाएंगे। उन्हें सबसे पहले शाही स्नान का अवसर मिलेगा। कहा जा रहा है कि इस महाकुंभ में करीब 5 हजार नए नागा संन्यासी इस अखाड़े में दीक्षा ग्रहण करेंगे। यानी भक्तिभाव के इस संगम में हर कोई डुबकी लगाने को तैयार है।
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