कांग्रेस अध्यक्ष और बापू के सहयोगी थे Mukhtar Ansari के दादा, पूर्व उप-राष्ट्रपति से भी डॉन का गहरा नाता
Mukhtar Ansari Grand Father Mukhtar Ahmed Ansari: करीब 40 साल तक अपराध की दुनिया पर राज करने वाला डॉन मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं रहा। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में कैद मुख्तार अंसारी को बेहोशी की हालत में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में लाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
डॉन मुख्तार अंसारी का माफिया की दुनिया से गहरा नाता रहा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसके दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी रहे। कांग्रेस के अध्यक्ष भी वे बने थे। मशहूर सर्जन थे और देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी उसके चाचा लगते हैं। आइए जानते हैं कौन थे मुख्तार अहमद अंसारी?
जामिया मिलिया इस्मालिया के संस्थापक
मुख्तार अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा सबमिट किया था। इस हलफनामे के अनुसार मुख्तार अंसारी के दादा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में जन्मे डॉ मुख्तार अहमद अंसारी थे। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। 1928 से 1936 तक वे इसे चांसलर भी रहे। मुख्तसर अहमद अंसारी के नाम पर ही दिल्ली के अंसारी नगर का नाम रखा गया था। अंसारी रोड भी उन्हीं के नाम पर बनी है।
राष्ट्रपिता के प्रयासों से कांग्रेस अध्यक्ष बने
डॉ मुख्तार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने थे। साल 1927 में जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो सरोजिनी नायडू ने मोतीलाल नेहरू क के नाम का प्रस्ताव दिया, लेकिन महात्मा गांधी ने मुख्तार अहमद अंसारी का नाम आगे किया और उनके प्रयासों से अंसारी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।
लंदन में पंडित नेहरू से हुई थी मुलाकात
मुख्तार अहमद अंसारी विक्टोरिया हाई स्कूल से पढ़े लिखे। साल 1900 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन में डिग्री ली और स्कॉलरशिप लेकर इंग्लैंड चले गए। वहां उन्होंने MD-MS की डिग्री ली। वहीं 1905 में उनकी मुलाकात पंडित जवाहरलाल नेहरू से हुई। उन्होंने लंदन के लॉक हॉस्पिटल और चैरिंग क्रॉस हॉस्पिटल में जॉब भी की।
चैरिंग क्रॉस हॉस्पिटल में आज भी उनके नाम का अंसारी वार्ड है। 1910 में अंसारी वतन लौट आए और उन्हें लाहौर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनने का ऑफर मिला, लेकिन स्कॉलरशिप कॉन्ट्रैक्ट के कारण वह ये पद नहीं ले पाए, लेकिन जवाहरलाल नेहरू से दोस्ती के चलते वे राजनीति में सक्रिय होने लगे। वे कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के सदस्य बने।