रायबरेली गांधी परिवार के लिए Lucky, इंदिरा की चुनावी राजनीति का आगाज, अब राहुल को उतारने का क्या है मकसद
Gandhi Family Connection With Raebareli : उत्तर प्रदेश की हॉट सीट रायबरेली एक बार फिर चर्चा में आ गई। गांधी परिवार के लिए रायबरेली सीट लकी रही है। इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहीं से इंदिरा गांधी की चुनावी जीत का आगाज हुआ था। इस बार गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी इस सीट से चुनाव लड़ने जा रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ताल ठोंक दिया है। आइए जानते हैं कि रायबरेली से गांधी परिवार का क्या है संबंध?
रायबरेली कांग्रेस की पैतृक सीट मानी जाती है। सोनिया गांधी के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इस सीट से गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी का राजनीतिक सफर शुरू होने जा रहा है। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी अब अपने परिवार की विरासत संभालने जा रहे हैं।
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फिरोज गांधी रायबरेली से बने थे सांसद
1951-52 के पहले चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ को मिलाकर एक लोकसभा सीट थी, जहां से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने चुनाव जीता था। 1957 चुनाव में रायबरेली सीट अस्तित्व में आई थी, तब भी फिरोज गांधी सांसद बने थे। फिरोज गांधी के निधन के बाद 1960 के उपचुनाव और 1962 के चुनाव में गांधी परिवार से कोई भी सदस्य इस सीट से इलेक्शन नहीं लड़ा था।
रायबरेली से इंदिरा गांधी की चुनावी राजनीति का हुआ था आगाज
साल 1964 में इंदिरा गांधी राज्यसभा सदस्य बनी थीं। इसके बाद उन्होंने 1967 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली की कमान संभाली, जहां से उनकी चुनावी राजनीति के सफर का आगाज हुआ था। फिर इंदिरा गांधी 1971, 1977 और 1980 में इसी सीट से सांसद बनी थीं। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा के 1971 की चुनावी जीत को अवैध ठहराया था। इमरजेंसी के बाद 1977 में इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव हार गई थीं।
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बहू ने संभाली विरासत
इंदिरा के बहू सोनिया गांधी साल 2004 में रायबरेली आईं। राहुल गांधी को अमेठी सौंपने के बाद सोनिया गांधी ने 2004 में रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ा और बंपर जीत हासिल की। इसके बाद वे 2009, 2014 और 2019 में इस सीट से सांसद रही थीं।