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आखिर 300 सालों से किस बात का है डर... इस गांव में क्यों नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन?

Rakshabandhan Special: भाई -बहन के प्यार का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया गया। लेकिन यूपी में एक ऐसा गांव भी है जहां पर कोई इस त्योहार का मान तक नहीं लेता है। यहां तक की इस गांव की बहुएं भी अपने भाईयों को राखी बांधने के लिए अपने घर नहीं जाती हैं।
07:08 PM Aug 21, 2024 IST | News24 हिंदी
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Rakshabandhan Special: 19 अगस्त को देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया। इस त्योहार के लिए दुनियाभर से बहन भाई एक दूसरे के लिए तोहफे भेज देते हैं। जो पास है वो साथ में रहकर इस त्योहार को मनाते हैं। लेकिन यूपी के संभल में एक गांव ऐसा भी है जहां पर एक भी भाई राखी नहीं बंधवाता है। जी सुनने में थोड़ा अजीब लगता है कि आखिर गांव के हर भाई की कलाई सूनी कैसे हो सकती है, लेकिन ये सच है।

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संभल जिले के गांव बेनीपुर में रक्षाबंधन पर एक भी भाई की कलाई पर राखी नहीं होती है। रक्षाबंधन ना मनाने की परंपरा कोई नई नहीं है बल्कि 300 साल पुरानी है। इसके पीछे बहन को दिए जाने वाला एक उपहार माना जाता है।

क्यों नहीं मनाते रक्षाबंधन

रक्षाबंधन पर संभल जिले के एक गांव ने अपनी तरफ ध्यान खींचा है। रक्षाबंधन के त्योहार पर इस गांव में रहने वाले सभी भाईयों की कलाई सूनी है। इस गांव में राखी के त्योहार पर किसी के घर कोई जश्न नहीं होता है, ना कोई बहन अपने भाई से मिलने आती है, ना कोई भाई ही अपने बहन के पास जाता है। इसकी वजह इतिहास में एक बहन के उपहार को माना जाता है। इस गांव में ज्यादातर परिवार यादव समाज से आते हैं, जिनका ठाकुरों से इतिहास जुड़ा है।

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क्या है उपहार का इतिहास

राखी का इतिहास अलीगढ़ जिले के अतरौली थाना क्षेत्र के गांव सेमरी से जुड़ा है। 300 साल पहले यहां पर यादव और ठाकुर समाज के लोग मिलकर रहा करते थे। सभी लोग आपस में रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाते थे। इन्हीं से जुड़ा एक किस्सा है जिसकी वजह से रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है। कहा जाता है कि रक्षाबंधन पर ठाकुर भाई से यादव की लड़की ने राखी पर घोड़ी मांगी थी। इसके अगले साल ठाकुरों की लड़की ने यादव भाई से उपहार में पूरा गांव ही मांग लिया। इस मांग को पूरा करने के लिए यादवों ने अपनी सारी संपत्ति अपनी बहन को दे दी और गांव छोड़कर संभल के आसपास आकर बस गए।

कोई और ना मांग ले ऐसा उपहार

बेनीपुर गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि 300 सालों से अब तक रक्षाबंधन ना मनाने की यही वजह है। उनको लगता है कि अगर फिर से किसी बहन ने ऐसा उपहार मांग लिया तो फिर वो बेघर हो सकते हैं, और छोटा उपहार देना उनके लिए अपमान की बात होती है। बुजुर्ग इसको महादान मानते हैं। इसकी वजह से गांव की बहुएं भी अपने भाईयों को राखी बांधने के लिए नहीं जाती हैं।

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