'क्या अब खुली है आपकी नींद?', पतंजलि मामले में SC की उत्तराखंड आयुष विभाग को फटकार, 1 लाख जुर्माना ठोंका
Uttarakhand State Licensing Authority: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायालय ने कड़ी फटकार उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को लगाई। न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों पर अथॉरिटी की सुस्ती पर सवाल उठाए। कहा कि लगता है अब नींद खुली है। अथॉरिटी ने शीर्ष अदालत को बताया कि पतंजलि और उसकी इकाई दिव्या फार्मेसी के 14 मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस वे लोग 15 अप्रैल को निरस्त कर चुके हैं। इस पर भी कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट में पतंजलि की ओर से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। उन्होंने आचार्य बालकृष्ण और रामदेव के माफीनामे का जिक्र किया कि कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कर दिया है। यह माफीनामों अखबारों में छपा था, जिसकी कटिंग भी दिखाई गई।
इसके बाद कोर्ट ने ओरिजिनल रिकॉर्ड और ई-फाइलिंग को लेकर सवाल किए। कहा कि वे क्यों नहीं दिए गए? कोर्ट ने कहा कि इसमें काफी संदेहजनक है, हम अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। ओरिजिनल कॉपी कहां है? रामदेव की ओर से पेश वकील बलबीर सिंह ने इस पर दलील दी। कहा कि हो सकता है कि उनकी अज्ञानता से ऐसा हुआ हो। कोर्ट ने पिछले माफीनामे पर भी सवाल उठाया। कहा कि ये बेहद छोटा था, जिस पर सिर्फ पतंजलि लिखा मिला। इस बार बड़े माफीनामे की कोर्ट तारीफ करती है। लेकिन अब सिर्फ अखबार और जिस दिन माफीनामा छपा है, वही जमा करवाएं।
कभी तेजी से काम, कभी आराम से
इससे पहले कोर्ट ने अथॉरिटी को फटकार लगाई। कहा कि जब मूड होता है, तो आप तेजी से काम करते हैं। नहीं करना चाहते, तो सालों लगा देते हैं। 3 दिन में अब एक्शन ले लिया, लेकिन 9 महीने कुछ नहीं किया। लगता है आपको अब जाग आई है। आयुष विभाग से कोर्ट ने पूछा कि जिन दवाओं का लाइसेंस निरस्त किया है, वह कब तक रहेगा। इस पर विभाग ने जवाब दिया कि संबंधित फर्म को उनके पास 3 महीने में आवेदन करना होगा। कोर्ट ने ज्वाइंट डायरेक्टर मिथिलेश कुमार से भी 9 महीने की कार्रवाई पर सवाल किया। हलफनामा मांगा। पिछले हलफनामे पर कहा कि तब तो कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने साफ कहा कि फिर मत कहना कि मौका नहीं दिया गया।
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कोर्ट ने अथॉरिटी को पोस्ट ऑफिस की तरह काम करने की बात कह जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने ढीले रवैये पर हलफनामा स्वीकार करने की बात करते हुए एक लाख का जुर्माना लगा दिया। इसके बाद हलफनामे को वापस कर 5 मिनट में सुधारकर लाने को कहा। वहीं, अगली सुनवाई पर आईएमए चीफ को भी कोर्ट के तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है। मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को उनके बयानों से अवगत करवाया। कोर्ट ने कहा कि सभी बयान रिकॉर्ड पर हो, यह मसला गंभीर है। इसका नतीजा भुगतने को तैयार रहें। आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर अशोकन ने बयान दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट डॉक्टरों और आईएमए की प्रैक्टिस की आलोचना की है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 14 मई को है, लेकिन रामदेव और आचार्य को पेशी पर व्यक्तिगत तौर पर आने की छूट है।