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69 हजार शिक्षक भर्ती: HC के फैसले के बाद क्या बदलेगा, क्या बचेगी मौजूदा शिक्षकों की नौकरी?

69 Thousand Teacher Vacancy News: 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद बड़ा सवाल ये है कि नई सूची कितनों मौजूदा शिक्षकों की नौकरी खा जाएगी। कोर्ट ने नई सूची में ऊपरी क्रम में आरक्षण देने की बात कही है। साथ ही आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को जनरल कैटेगिरी में भी माइग्रेट किया जाएगा।

69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद नई सूची में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

69 Thousand Teacher Vacancy News: 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर हाईकोर्ट के फैसले से पहले से चयनित शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के भीतर नई सूची बनाने को कहा है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया।

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हाईकोर्ट के फैसले का मतलब क्या?

हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 की 1 जून 2020 को जारी चयन सूची और 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर दिया है। कोर्ट ने सरकार से नई चयन सूची बनाने को कहा है।

नई सूची में क्या बदलेगा

हाईकोर्ट के फैसले के बाद नई सूची में सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि आरक्षित वर्ग का कोई परीक्षार्थी अगर सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आता है तो उसे जनरल कैटेगिरी में माइग्रेट किया जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि नई सूची तैयार करने के दौरान यदि कोई मौजूदा शिक्षक प्रभावित होता है तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े। इसका मतलब ये है कि इस सत्र में उक्त शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी।

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बेसिक शिक्षा विभाग का बयान

हाईकोर्ट के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने कहा कि न्यायालय के आदेश का विभाग अध्ययन करा रहा है। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।

आरक्षण कोटा का सही पालन नहीं

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 69 हजार सहायक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन न किए जाने के मामले में 13 मार्च, 2023 को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली 90 विशेष अपीलों को राज्य सरकार को कई निर्देश देकर निस्तारित कर दिया। जस्टिस एआर मसूदी औ जस्टिस बृजराज सिंह की खंडपीठ ने अशोक यादव और अन्य अभ्यर्थियों की अपीलों पर यह फैसला सुनाया।


याचिकाकर्ताओं का क्या था आरोप

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि आरक्षित वर्ग में चयनित 19,988 अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 फीसदी से ज्यादा अंक पाने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में नहीं रखा गया, जो आरक्षण नियमावली का उल्लंघन था।

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