यूपी बीजेपी में 'गुटबाजी' के बीच पुराने अंदाज में लौटे CM योगी, ये 6 फैसले दे रहे संकेत, उपचुनावों में दिखेगा असर?
Yogi Adityanath News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी हिंदुत्ववादी छवि को धार देने में जुटे हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव जीतकर दूसरी बार सत्ता में लौटे योगी आदित्यनाथ को लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यूपी बीजेपी में 'गुटबाजी' का सामना करना पड़ा है। इस बीच योगी ने बतौर सीएम कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो उनकी हिंदुत्ववादी नेता की छवि को और मजबूत करते हैं। साथ ही ये भी बताते हैं कि सीएम योगी एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में लौट रहे हैं।
पंतनगर पर नहीं चला बुलडोजर
पिछले महीने सीएम योगी ने लखनऊ स्थित दो कॉलोनियों पंतनगर और इंद्रप्रस्थ नगर में बुलडोजर की कार्रवाई को रोक दिया। ये कॉलोनियों हिंदू बहुल थीं। बाढ़ क्षेत्र में होने की वजह से इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपने घर गिराए जाने का अंदेशा था। सिंचाई विभाग ने इन कॉलोनियों को चिन्हित कर रखा था। 20 जून को लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अकबरनगर में 1169 घरों और 101 कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर दिया था। अकबर नगर को कुकरैल नदी के बाढ़ क्षेत्र में होने की वजह से लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अवैध घोषित कर रखा था। अकबरनगर को लेकर प्रशासन और स्थानीय नागरिकों में पिछले 6 महीने से रस्साकशी चल रही थी। बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने प्रशासन के पक्ष में फैसला दिया।
कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट
सीएम योगी का अगला बड़ा कदम था, कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने की दुकान चलाने वालों के लिए नाम लिखना अनिवार्य करना। इस बारे में सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश जारी किया था। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि ये फैसला मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लिया गया है। फैसले पर राजनीतिक बवाल मचने के बावजूद यूपी सरकार अपने फैसले पर कायम रही और एक हफ्ते बाद इसे पूरे यूपी में लागू करने का आदेश हो गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई, लेकिन सीएम योगी अपने समर्थकों को संदेश देने में सफल रहे।
धर्मांतरण कानून में संशोधन
जुलाई महीने में यूपी सरकार ने धर्मांतरण कानून में संशोधन का विधेयक विधानसभा में पेश किया। 30 जुलाई को सदन से विधेयक पास हो गया। इस संशोधन के पास होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 और कठोर बन गया है। इस कानून के जरिए लव जिहाद के मामले में अपने स्टैंड को सीएम योगी ने फिर से मजबूत किया है।
एंटी-रोमियो स्क्वॉयड को फिर एक्टिव किया
सीएम योगी ने पिछले हफ्ते एक बार फिर से एंटी रोमियो स्क्वॉयड को एक्टिव करने का आदेश दिया। 2017 में कमान संभालने के बाद सीएम योगी ने एंटी रोमियो स्क्वॉयड की शुरुआत की थी। 2022 में इन्हें थोड़े समय के लिए एक्टिव किया गया था, लेकिन बाद में स्थगित कर दिया गया था। इस स्क्वॉयड में महिला पुलिस कर्मी सिविलियन ड्रेस में होती हैं, जिनका पुरुष पुलिसकर्मी सहयोग करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाओं को रोकना होता है। एंटी रोमियो स्क्वॉयड को 2019 में बंद कर दिया गया था, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स आईं थी कि एंटी रोमियो स्क्वॉयड के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है।
सनातन की रक्षा का संकल्प
अगस्त महीने में परमहंस रामचंद्र दास की प्रतिमा अनावरण के मौके पर योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प दोहराया। परमहंस रामचंद्र दास अयोध्या आंदोलन के अग्रणी नेताओं में रहे थे, इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि सनातन धर्म के सामने आसन्न संकट मंडरा रहा है। राम मंदिर का निर्माण अंतिम लक्ष्य नहीं था, बल्कि सनातन धर्म की रक्षा के अभियान में एक मील का पत्थर था।
बांग्लादेश संकट पर योगी की मुखरता
बीते हफ्ते से योगी आदित्यनाथ बांग्लादेश के राजनीतिक संकट पर मुखर हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। वहीं विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाते हुए उनकी चुप्पियों पर सवाल उठा रहे हैं। सीएम योगी ने एक कार्यक्रम में कहा कि 'ये हमारा कर्तव्य है कि हम बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करें और संकट के समय उनकी मदद करें। हम हमेशा उनका समर्थन करेंगे। चाहे जैसी भी परिस्थिति हो। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू होना गलती नहीं है, बल्कि आशीर्वाद है।'
आगामी विधानसभा उपचुनावों से पहले सीएम योगी का हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी छवि को मजबूत करना, हिंदुत्व के समर्थकों को तो संदेश देता ही है, यूपी में बीजेपी के संगठन को भी सीएम योगी के प्रभाव का संकेत देता है।