कभी भी फट सकती है 'मौत' की ये झील, वजह जान वैज्ञानिक भी हैरान
Africa Lake Kivu News: अफ्रीका की झीलों में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की मौजूदगी के कारण पहले भी विस्फोट हो चुके हैं। अब एक और झील को लेकर चेतावनी जारी की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक अफ्रीका की किवु झील में कभी भी मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड के कारण विस्फोट हो सकता है। जिससे यह फट सकती है और घनी आबादी वाले इलाकों में बड़ी तबाही मचा सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक झील फटने से पहले कोई ऐसे संकेत नहीं देगी, जिससे लोगों को पता चल सके। इससे पहले न्योस और मोनौन नामक दो झीलों में भी विस्फोट हो चुके हैं। जिनमें विस्फोट से पहले कोई भी संकेत नहीं मिले थे। दोनों झीलों में विस्फोट से 1800 लोगों की मौत हो गई थी।
55 मील लंबी और 30 मील चौड़ी है ये झील
वहीं, अनगिनत जानवर मारे गए थे। किवु झील दोनों से काफी बड़ी है। अगर यह फटी तो बड़ी तबाही से इनकार नहीं किया जा सकता। किवु झील लगभग 55 मील (लगभग 89KM) लंबी है। 30 मील (लगभग 48KM) चौड़ी यह झील लगभग 1560 फीट गहरी है। इस झील का आकार और बनावट काफी जोखिम भरी है। वहीं, परतदार सरंचना के कारण भी खतरा अधिक है। वैज्ञानिकों के अनुसार झील के ऊपरी हिस्से में सिर्फ 200 फुट पानी ही मिश्रित है। नीचे का बाकी पानी अस्थिर है। किवु झील में विस्फोट की आशंका के पीछे एक और वजह भी सामने आई है।
वैज्ञानिकों ने अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में टेक्टोनिक प्लेट की सीमा में दरार खोजी है। जिसकी वजह से सोमालियाई टेक्टोनिक प्लेट कभी भी पूर्व की ओर खिसक सकती है। जिससे यह महाद्वीप के बाकी हिस्सों से अलग हो जाएगी। इस हलचल के कारण कभी भी ज्वालामुखी फट सकता है या भूकंप आ सकता है। जिसके कारण झील में जहरीली गैसें फैल सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फिलहाल झील में मीथेन 14 क्यूबिक मील और कार्बन डाइऑक्साइड 72 क्यूबिक मील है। हाइड्रोजन सल्फाइड गैस भी मिली है। तीनों के संयोजन से भयंकर विस्फोट हो सकता है।
कनाडा की कंपनी बना रही झील बचाने की योजना
कनाडा की हाइड्रैगस एनर्जी जैसी कुछ कंपनियां गैसों को निकालने की योजना पर काम कर रही हैं। हाइड्रैगस एनर्जी के संस्थापक फिलिप मोर्केल ने बताया कि निष्कासन की प्रक्रिया से बिजली उत्पादन की दिशा में लाभ मिल सकता है। अभी झील में 60 फीसदी तक गैसों की मिलावट है। अगर 100 फीसदी हो गई तो झील अपने आप फट जाएगी। ग्लोबल स्तर पर जितना वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सालभर में होता है। झील फटने से उसका 5 प्रतिशत रोजाना यहां से होगा। जो स्थिति को गंभीर बना सकता है। यह लोगों के अलावा जानवरों और पक्षियों के लिए दम घोंटने वाली स्थिति को पैदा कर देगा। जिससे बड़ी तबाही मच सकती है।
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