जेल में मची भगदड़, 129 कैदियों की मौत; सलाखें तोड़कर फरार होने की कोशिश में भीषण हादसा
Jail Stampede Killed 129 Prisoners: जेल में अचानक लगी आग का फायदा उठाकर कैदियों ने भागने की कोशिश की। इस दौरान भगदड़ मची और कैदियों को फरार होने से रोकने के लिए जेल में तैनात पुलिस कर्मियों ने फायरिंग की। इस हादसे में 129 कैदियों की मौत हो गई है। 24 कैदियों की मौत गोलियां लगने से हुई और बाकी कैदियों की मौत धक्का मुक्की में और दम घुटने से हुई, लेकिन कोई भी कैद जेल की सलाखें तोड़कर भाग नहीं पाया। जेल तोड़कर फरार होने की कोशिश अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में हुई। देश की राजधानी किंशासा की मकाला जेल से कैदियों ने भागने की कोशिश की। देश के गृह मंत्री शबानी लुकू ने खुद अपने X हैंडल पर ट्वीट करके घटनाक्रम की जानकारी दी और मामले में पुलिस कार्रवाई के बारे में बताया।
सरकार ने तीनों घटनाक्रमों पर तलब की रिपोर्ट
गृह मंत्री शबानी लुकू और आंतरिक मामलों के मंत्री जैक्विमिन शबानी ने बताया कि सोमवार अलसुबह करीब 2 बजे एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस में लगी आग ने फूड डिपो और अस्पताल को भी अपनी चपेट में ले लिया था। अग्निकांड में करीब 60 लोग घायल हुए। इस दौरान जब सभी आग बुझाने में व्यस्त थे तो कैदियों ने मौके का फायदा उठाया और जेल ब्रेक करने की कोशिश की।
इस दौरान चेतावनी देने पर भी कैदी नहीं रुके तो फायरिंग करनी पड़ी। भगदड़ के हालात बन गए और गोलीबारी हुई तो दोनों घटनाक्रम में कैदियों की मौत हो गई। हालांकि एक भी कैदी जेल से बाहर नहीं जा पाया, लेकिन इतनी संख्या में कैदियों की मौत से सरकार परेशान है। सरकार ने घटनाक्रम की जांच के आदेश जारी कर दिए है। अग्निकांड, जेल ब्रेक और फायरिंग पर रिपोर्ट तलब की गई है।
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1500 कैदियों की जेल में 12000 कैदी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांगो सरकार हादसे के बाद विपक्षियों के निशाने पर है, क्योंकि कांगो की मकाला जेल में 1500 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन इस समय जेल में करीब 12 हजार कैदी थे। ज्यादातर कैदियों के केस में अभी तक ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ था। हादसे के पूरी तरह से सरकार, पुलिस और जेल प्रशासन की लापरवाही करार दिया जा रहा है। बता दें कि कांगो दुनिया का सबसे गरीब देश है, लेकिन यहां खनिज पदार्थों का खजाना है। 30 जून 1960 को यह देश आजाद हुआ था, लेकिन आज तक यह देश गरीबी की मार झेल रहा है। यहां की सरकारें इस देशों को गरीबी रेखा से ऊपर नहीं उठा पाई हैं।