आलोक शर्मा कौन? आगरा में जन्मे, यूके में मंत्री बने; अब फिर ब्रिटिश संसद में मिला अहम पद
UK General Election Result 2024: ब्रिटिश भारतीय पूर्व सांसद आलोक शर्मा को यूके की संसद में फिर से बड़ी जिम्मेदारी मिली है। शर्मा एक बार फिर हाउस ऑफ लॉर्ड्स में किंग्स चार्ल्स की ओर से अनुमोदित किए जाने के बाद हाउस सदस्य बनने जा रहे हैं। पिछले आम चुनाव में शर्मा कंजर्वेटिव पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस सप्ताह हुए आम चुनाव में शर्मा ने लड़ने से मना कर दिया था। अब किंग्स चार्ल्स III की ओर से उनको फिर अनुमोदित किया गया है। पीयरेज मिलने के बाद वे फिर से हाउस के मेंबर बनने जा रहे हैं।
56 साल के शर्मा का जन्म यूपी के आगरा में हुआ है। दो साल पहले उनको COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी मिली थी। जिसके बाद उनके काम को दुनियाभर में सराहा गया था। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए योगदान के कारण उनको पिछले साल सर आलोक के रूप में नाइट की उपाधि दी गई थी। वे पहले भारतीय मूल के सांसद रहे हैं, जिनको पिछले साल किंग्स न्यू ईयर ऑनर्स सूची में जगह मिली थी। यूके के पूर्व पीएम ऋषि सुनक की ओर से 'डिसॉल्यूशन पीयरेज' के लिए 7 नाम दिए गए थे। जिनमें आलोक भी शामिल थे। वहीं, पूर्व पीएम थेरेसा को भी यूके की संसद में ऊपरी सदन की पीयर नियुक्त किया गया है।
पार्टी की हार पर जाहिर किया दुख
शर्मा ने अपनी नियुक्ति पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे विनम्र महसूस कर रहे हैं। लेकिन रीडिंग वेस्ट और मिड बर्कशायर में उनकी पार्टी के कई उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। जो काफी दुखद है। चुनाव परिणामों को विनाशकारी बताते हुए उन्होंने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उनके पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से इस बार लेबर पार्टी की ओलिविया बेली की जीत हुई है। शर्मा ने कहा कि उम्मीद है कि वे लोगों की अच्छे से सेवा करेंगी। उन्होंने कहा कि रीडिंग वेस्ट और मिड बर्कशायर में रहते हुए वे बड़े हुए हैं। सांसद बनकर यहां के लोगों की सेवा करना उनके लिए सम्मान का विषय रहा है।
शर्मा ने 2006 में संसदीय चुनाव लड़ा था। वे 2010 में टोरी से जीते थे। कैबिनेट मंत्री के तौर पर वे ऊर्जा, व्यापार जैसे विभाग संभाल चुके हैं। उनके औद्योगिक रणनीति के राज्य सचिव के तौर पर भी काम को सराहना मिली थी। ऋषि सुनक जब पीएम थे, तब वे हाउस ऑफ कॉमन्स में पिछली बेंचों पर बैठते थे। उन्होंने 2050 तक देश की जलवायु कार्रवाई नेट जीरो करने में देरी पर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे। उद्योगपतियों के लिए भी वे समय-समय पर आवाज उठाते थे।
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