H-1B वीजा को लेकर US में मचा बवाल; नियमों में बदलाव का भारतीयों पर कितना असर?
World Latest News: एच-1बी वीजा के स्वरूप में लगातार बदलाव का विरोध अब अमेरिका में होने लगा है। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA) अभियान से जुड़े कट्टरपंथी इसका विरोध कर रहे हैं। वे लगातार वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) कार्यक्रम पर निशाना साध रहे हैं। उनका मानना है कि इस कार्यक्रम के तहत उन लोगों को लंबे समय तक यूएस में रहने की अनुमति मिल जाएगी, जो विदेश से ग्रेजुएशन करने आए हैं। वर्क एक्सपीरियंस हासिल करने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसके लिए H-1B वीजा नियमों में बदलाव किए गए हैं। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि H-1B वीजा की वजह से अमेरिकी श्रमिकों के रोजगार छिन रहे हैं। क्योंकि इसका दुरुपयोग हो रहा है, जिसमें सुधार किए जाने की जरूरत है।
नए सिरे से समीक्षा की मांग
अब वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की नए सिरे से समीक्षा की मांग अमेरिकी करने लगे हैं। इससे पहले एफ-1 वीजा पर अमेरिका जाने वाले छात्रों को पहले शैक्षणिक सत्र के बाद ओपीटी की अनुमति मिल जाती थी। Science Technology Engineering Mathematics (STEM) स्नातक तीन साल तक पढ़ाई कर सकते थे। अमेरिकी कट्टरपंथियों के अनुसार पहले कम समय के लिए ओपीटी की अनुमति मिलती थी। लेकिन अब नियमों में बदलाव से एच-1बी के जरिए लंबे समय तक वीजाधारक अमेरिका में ठहर सकेंगे।
नेटिविस्ट यूएस टेक वर्कर्स गठबंधन ने रविवार को इसको लेकर एक बयान भी जारी किया। नेटिविस्ट के अनुसार अब विदेशी छात्र (विशेषकर भारतीय) वर्क एक्सपीरियंस के लिए ओपीटी में शामिल होंगे। इस अवधि के दौरान अगर वे H1-B वीजा हासिल कर लेंगे तो अमेरिका में 9 साल तक रहने का अधिकार मिल जाए। उस समय तक कई लोग ग्रीन कार्ड हासिल करने के योग्य हो जाएंगे। ग्रीन कार्ड हासिल करने की वजह से अमेरिकी नागरिक बन जाएंगे तो यहां पीआर हासिल कर लेंगे।
ये भी पढ़ेंः इजराइली सेना ने मार गिराया हमास का टाॅप कमांडर, 2023 में हुए हमले का था मास्टरमाइंड
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में 1.49 मिलियन (14.9 लाख) छात्र ग्रेजुएट हुए। उनमें से लगभग 23 फीसदी (344686) को ओपीटी के जरिए काम करने का अधिकार था। MAGA के अनुसार यह स्थिति चिंताजनक है। क्योंकि अगर इतने लोग वर्क एक्सपीरियंस हासिल करेंगे तो सीधे तौर पर अमेरिकी लोगों के लिए नौकरी के अवसर कम होंगे। इसलिए ओपीटी को समाप्त किया जाए। जिसके बाद बिना वर्क एक्सपीरियंस विदेशी छात्रों को ग्रेजुएशन के बाद अमेरिका छोड़ना होगा। ओपीटी कार्यक्रम 1947 से जारी है। तब नियमों में प्रावधान था कि विदेशी छात्र यहां पढ़ाई के दौरान काम कर सकते थे। लेकिन इसके लिए इमिग्रेशन अधिकारियों की मंजूरी लेनी होती थी।
नियमों को सख्त बनाने की मांग
अमेरिकी मांग कर रहे हैं कि नए नियमों को सख्त बनाया जाए। जिसमें ओपीटी के लिए पहले छात्र को संस्थान से परमिशन लेनी होगी। इसके बाद होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) के जरिए अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सेवा (USCIS) के साथ रोजगार प्राधिकरण के लिए अप्लाई करना होगा। फिलहाल OPT में भाग लेने वाले F-1 या M-1 वीजा धारकों के लिए कोई लिमिट नहीं है। कुछ अमेरिकी विशेषज्ञ पहले ही ओपीटी कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इसको संसद की मंजूरी नहीं है। ओपीटी की आड़ में गुप्त तौर पर विदेशी कर्मचारियों को काम दिया जा रहा है। जिससे हर साल पासआउट हो रहे अमेरिकी ग्रेजुएट्स के लिए नौकरियां कम हो रही हैं।
ये भी पढ़ेंः यात्रियों से भरे विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, लड़की को खांसी आने पर फ्लाइट में बवाल
यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी जोखिम है। वहीं, कुछ विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं। वे चाहते हैं कि ओपीटी कार्यक्रम चलता रहे। जिससे शिक्षित विदेशी नागरिकों को अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान करने का मौका मिले। 2008 में राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल के दौरान F-1 वीजा नियमों में बदलाव किया गया था। तब OPT की अधिकतम अवधि 12 महीने से बढ़ाकर 29 महीने कर दी गई थी। 2016 में ओबामा प्रशासन ने STEM डिग्री वालों के लिए इसे 36 महीने तक बढ़ा दिया था।