सुहागरात से पहले इस देश की महिलाओं को देना पड़ता है वर्जिनिटी टेस्ट, ऐसे पूरी होती है रस्म
China News in Hindi: दुनिया चांद पर बसने के सपने देख रही है। लेकिन सभ्य समाज में आज भी महिलाओं से भेदभाव कम नहीं हो रहा। भारत के कई इलाकों में महिलाओं को शादी के बाद अपनी पवित्रता का सबूत देना पड़ता है। परंपराओं का हवाला देकर महिलाओं का वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है। राजस्थान के कुछ इलाकों में इसे कुकड़ी प्रथा कहा जाता है। समय-समय पर विशेषज्ञ इसको लेकर बहस करते हैं। क्योंकि प्रथा के नाम पर फेल होने के बाद महिलाओं को गलत दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन ऐसी प्रथाएं भारत ही नहीं, दुनिया की बड़ी महाशक्ति चीन में भी निभाई जाती हैं। पुरानी मानसिकता के बोझ तले दबे लोग आज भी उबर नहीं सके हैं।
कई महिलाएं हो चुकीं कुरीतियों की शिकार
महिलाओं से जुड़ी इन रस्मों को लेकर मानव अधिकार संगठन आवाज भी उठाते हैं। कई देश ऐसे भी हैं, जहां इस प्रथा के नाम पर महिलाओं को जलील किया जाता है। लेकिन उनकी आवाज बाहर नहीं आ पाती है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन के कई इलाकों में ये प्रथा जारी है। चीन के पूर्वी प्रांत जियांग्जी में कई महिलाएं सामने आई हैं, जो इस प्रथा का शिकार हो चुकी हैं। ताजा मामला सुइचुआन काउंटी में सामने आया है। यहां शादी के बाद जब एक दुल्हन ससुराल पहुंची तो उसे डोली से उतरने के बाद कई देर तक नंगे पैर को जमीन से टच नहीं करवाया गया। दुल्हन को 5 घंटे तक टोकरी में नंगे पैरों के सहारे बैठाकर रखा गया।
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इस दौरान दुल्हन को ऐसे बैठना होता है कि उसका पैर जमीन को न छुए। बिना रुके, बिना थके यह सब करना जरूरी होता है। माना जाता है कि इस प्रथा के बाद दुल्हन के किए सभी काम अच्छे हो जाते हैं। दुल्हन को तब तक ससुराल में प्रवेश नहीं करने दिया जाता, जब तक वह रस्म पूरी न कर ले। माना जाता है कि इस रस्म के बाद महिला अपने ससुराल के लिए भाग्यशाली बन जाती है। इसे एक प्रकार का वर्जिनिटी टेस्ट माना जाता है।
हर साल हजारों मामले आते हैं सामने
चीन के एक अन्य प्रांत में दुल्हन को पैसे लेकर ससुराल के लोग अपने साथ ले जाते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि ऐसा करने से दुल्हन पवित्र हो जाती है। वहीं, कुछ देर बाद ही उसको छोड़ दिया जाता है। हालांकि इस प्रथा का चीन में कई बार विरोध हो चुका है। कई जगह पर इसको कानूनन बंद किया गया है। चीन में ऐसी और भी कई परंपराएं हैं। जिसको लेकर हर साल हजारों मामले सामने आते हैं।
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