पंचशील समझौते से नेहरू के आंदोलन तक... जिनपिंग ने क्यों की भारत की तारीफ?
Xi Jinping Praises Panchseel Agreement : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पंचशील समझौते से लेकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक सब याद आ गया। मौका था बीजिंग में पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ। इस मौके पर सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें चीन के राष्ट्रपति ने वर्तमान समय के संघर्षों के अंत के लिए पंचशील के सिद्धांतों की बात कही। साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ चीन के संघर्षों के बीच ग्लोबल साउथ में अपने देश का प्रभाव बढ़ाने पर जोर दिया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार पंचशील के सिद्धांतों को पहली बार 29 अप्रैल 1954 को तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और संबंध को लेकर चीन-भारत के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था। चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है। बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई जब सीमा मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रहे थे तब उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों पर सहमति जताई थी। जवाहर लाल नेहरू को पंचशील सिद्धांत का जनक माना जाता है।
चीन के राष्ट्रपति ने कहा- समय की मांग को किया पूरा
चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था। अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों 'एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ', और 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' को संपूर्णता के साथ निर्दिष्ट किया था।
चीन-म्यांमार और चीन-भारत के रिश्तों का किया जिक्र
शी जिनपिंग ने अपने सम्मेलन में चीन के भारत और म्यांमार के साथ रिश्तों का भी जिक्र किया। इस सम्मेलन में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे समेत दुनिया के कई देशों के नेता और अधिकारी मौजूद थे। इस सम्मलेन में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन-भारत और चीन-म्यांमार संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया। उन्होंने इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया था।
नेहरू के आंदोलन को भी किया याद
जिनपिंग ने अपने सम्मेलन में नेहरू के गुट निरपेक्ष आंदोलन को भी याद किया। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में नेहरू के नेतृत्व में गुट-निरपेक्ष आंदोलन शुरू हुआ। इस आंदोलन ने अपने मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में पंचशील सिद्धांतों को अपनाया। आज दुनिया में पैदा हो रहे हालातों को खत्म करने की दिशा में रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पंचशील सिद्धांतों ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन के लिए एक ऐतिहासिक मानदंड स्थापित किया है।
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