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किसी अपने को खोने से जल्दी आता है बुढ़ापा? नई स्टडी रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले दावे

Columbia University New Study Report: हेल्थ से जुड़ी एक नई स्टडी रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें काफी चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। नई रिपोर्ट के अनुसार तनाव का असर तेजी से उम्र पर दिखता है। जिसके कारण व्यक्ति गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है। कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने खास उम्र के लोगों पर शोध किया है।
03:53 PM Aug 04, 2024 IST | Parmod chaudhary
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Columbia University Report: न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हेल्थ को लेकर एक नई स्टडी रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया गया है कि तनाव के कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर तेजी से असर पड़ता है। यही नहीं, इंसान जब अपने किसी करीबी को खो देता है तो भी उसे तनाव घेर लेता है। अपने किसी करीबी के जाने से तनाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इससे इंसान को ह्रदय और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। अपने प्रियजन को खोने के कारण इंसान को दर्दनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। शोक और दुख के कारण उम्र तेजी से ढलती है। यानी बुढ़ापा जल्दी आता है। शोध के अनुसार शरीर के ऊतकों, कोशिकाओं पर इसका गहरा असर पड़ता है।

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अंग धीरे-धीरे जवाब देने लगते हैं। शोध में ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 19 से 43 साल के बीच थी। इन लोगों ने 18 साल की आयु से पहले किसी खास प्रियजन को खोया था। इन लोगों के DNA का विश्ललेषण कर जैविक उम्र बढ़ने का मूल्यांकन किया गया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की महामारी विज्ञान की प्रोफेसर एलिसन ऐलो के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रीय अनुदैर्ध्य अध्ययन (US National Longitudinal Study) का डाटा शोध में शामिल किया गया है।

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3963 लोगों पर किया गया शोध

सर्वे में कुल 3963 लोग शामिल थे। जिसमें से 40 फीसदी लोग ऐसे रहे, जिन्होंने छोटी उम्र में ही भाई-बहन या माता-पिता को खो दिया था। ये आम लोगों की तुलना में जैविक उम्र में बड़े निकले। शोध के लिए चैपल हिल में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के कैरोलिना जनसंख्या केंद्र का सहयोग भी लिया गया। शोक का सीधा असर ऊतकों पर पड़ता है। जिससे नई स्वास्थ्य परिस्थितियां विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। शोध के अनुसार जिन महिलाओं ने पौष्टिक आहार का सेवन किया, वे जैविक रूप से धीरे-धीरे बूढ़ी हुईं। वहीं, चीनी युक्त आहार लेने वाली महिलाओं में जैविक रूप से तेजी से बुढ़ापा आया। शोध में 342 से अधिक श्वेत और अश्वेत महिलाओं को भी शामिल किया गया।

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