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क्या है Digital Afterlife? मौत के बाद भी 'जिंदा' रखेगी टेक्नोलॉजी! जानिए सब कुछ

Digital Afterlife Industry Booming : डिजिटल आफ्टरलाइफ इंडस्ट्री इस समय तेज रफ्तार के साथ उभर रही है। इस इंडस्ट्री की कंपनियां लोगों के उन परिजनों का वर्चुअल रीकंस्ट्रक्शन बनाने का वादा कर रही हैं, जिनका निधन हो चुका है। यह काम उनके डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर किया जा रहा है। सुनने में तो यह बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन, असल में इसके कुछ नुकसान भी हैं। इस रिपोर्ट में जानिए डिजिटल आफ्टरलाइफ असल में क्या है, किस तरह से ये काम किया जा रहा है, इसके खतरे क्या हैं और इन खतरों से कैसे बचा जा सकता है।
06:45 PM Jun 24, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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What Is Digital Afterlife : एक ऐसे भविष्य की कल्पना कीजिए जिसमें आपके फोन पर एक मैसेज आता है जो आपको बताए कि आपके किसी दिवंगत संबंधी या प्रियजन का 'डिजिटल बॉट' तैयार हो गया है। अपने दिवंगत प्रियजनों के वर्चुअल वर्जन के साथ बातचीत का दावा बिल्कुल किसी साई-फाई फिल्म जैसा लगता है। यह कल्पना सच होने से अब ज्यादा दूर नहीं है। दरअसल, इस तरह की सेवा देने वाली डिजिटल आफ्टरलाइफ इंडस्ट्री वर्तमान समय में तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। कई कंपनियां इस दुनिया से जा चुके लोगों का वर्चुअल मॉडल बनाने का दावा कर रही हैं, जिससे आप वैसे ही बात कर सकेंगे मानों वह जिंदा हों।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट्स (AI Chatbots) से लेकर वर्चुअल अवतार और होलोग्राम्स तक, यह टेक्नोलॉजी सुविधा और असुविधा के एक अजीब कॉम्बिनेशन की पेशकश करती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इससे लोग अपने प्रियजनों की कमी एक हद तक पूरी तो कर सकते हैं लेकिन इसके नुकसान भी काफी गंभीर हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति अपने दिवंगत पिता के डिजिटल वर्जन से बात करता है। इस दौरान उसकी भावनात्मक स्थिति बेहद कठिन और खतरनाक बन सकती है। ऐसे सीक्रेट्स और कहानियां पता चल सकती हैं जिनका अंदाजा भी नहीं होगा। इससे उस व्यक्ति के बारे में नजरिया भी बदल सकता है।

ऐसे तैयार होगा डिजिटल पर्सोना

डिजिटल आफ्टरलाइफ इंडस्ट्री जिस तेजी से बढ़ रही है, इसने कई अहम नैतिक और भावनात्मक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। अनुमति, प्राइवेसी और जीवन पर साइकोलॉजिकल असर जैसी चिंताएं शामिल हैं। इस इंडस्ट्री की कंपनियां वर्चुअल रिएलिटी (VR) और एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर लोगों के प्रियजनों का वर्चुअल मॉडल तैयार करने का काम कर रही हैं। ये कंपनियां इसके लिए किसी व्यक्ति का डिजिटल पर्सोना बनाने के लिए उनकी सोशल मीडिया पोस्ट्स, ई-मेल्स, टेक्स्ट मैसेजेस और वॉइस रिकॉर्डिंग्स का इस्तेमाल कर रही हैं। मौजूदा समय में ऐसी सर्विसेज देने वाली कंपनियों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।

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ऐसी सर्विसेज दे रहीं हैं कंपनियां 

वर्तमान में ये कंपनियां जो सुविधाएं दे रही हैं उनके बारे में जानते हैं। HereAfter नाम की कंपनी अपने यूजर्स को उनके जीवनकाल के दौरान स्टोरीज और मैसेजेस रिकॉर्ड करने की सुविधा देता है, जिनका इस्तेमाल निधन के बाद उनके परिजन कर पाएंगे। एक और कंपनी है MyWishes, जो निधन के बाद मैसेज भेजने की सर्विस ऑफर करती है। ये मैसेज पहले शिड्यूल कर लिए जाते हैं और निधन के बाद समय-समय पर भेजे जा सकते हैं। इसके अलावा Hanson Robotics नामक एक कंपनी ने एक ऐसा रोबोटिक धड़ बनाया है जो मृतक की स्मृतियों और पर्सनैलिटी लक्षणों का इस्तेमाल करते हुए उसके परिजनों के साथ बातचीत कर सकता है।

इस टेक्नोलॉजी से समस्या क्या?

इस इंडस्ट्री में जेनरेटिव एआई की भूमिका बहुत अहम है। इस तरह की टेक्नोलॉजी बेहद रियलिस्टिक और इंटरैक्टिव डिजिटल पर्सोना बनाने में महत्वपूर्ण रोल निभाती है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत उच्च स्तर का रियलिज्म वास्तविकता और सिमुलेशन के बीच का अंतर बताने वाली लाइन को धुंधला कर सकता है। इससे यूजर एक्सपीरियंस तो बेहतर हो सकता है, लेकिन यह लोगों में इमोशनल और साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस को जन्म भी दे सकती है। दरअसल, हर आदमी के जीवन में कुछ राज ऐसे होते हैं जिन्हें वह किसी के साथ साझा नहीं करता। ऐसे में यह टेक्नोलॉजी लोगों में गंभीर इमोशनल ट्रॉमा की वजह भी बन सकती है।

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