तेल, गोल्ड, सेंसेक्स, रुपये पर Trump की जीत का क्या असर? भारत पर भी दिखेगा इंपेक्ट
Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। अमेरिकी चुनाव परिणाम आते ही कच्चे तेल, शेयर मार्केट, गोल्ड, बिटक्वॉइन और रुपये पर जबरदस्त असर देखा गया। रुपया गिरकर अपने सर्वाधिक न्यूनतम स्तर पहुंच गया तो घरेलू शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसीज में तेज उछाल दर्ज की गई। हालांकि गोल्ड और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। 6 नवंबर को घोषित परिणामों में ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति चुने गए हैं। भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार की दोपहर तेज रिकवरी देखी गई। ट्रंप की जीत के बाद बाजार ने पॉजिटिव रेस्पांस दिया। पेन्नसिल्वेनिया में ट्रंप की जीत के बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दिन के अपने उच्चतम स्तर 24,537.6 पर पहुंच गया। वहीं बीएसई ने 1000 प्वाइंट की उछाल के साथ 80,569.73 पर पहुंच गया।
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
ट्रंप की जीत के बाद भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बुधवार को अपने सर्वाधिक न्यूनतम स्तर 84.25 पर पहुंच गया। विश्लेषकों को कहना है कि ट्रंप की नीतियां आने वाले दिनों में रुपया को और कमजोर करेंगी, क्योंकि ट्रंप महंगाई कम करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं।
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ग्लोबल गोल्ड और चांदी की कीमतों में गिरावट
ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ, लेकिन सोने की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों और चांदी के कीमत में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय उपभोक्ताओं के लिए डॉलर के मजबूत होने से सोने खरीदना भी महंगा हो सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में बुधवार को गिरावट दर्ज की गई। यह 2.09 परसेंट गिरकर 73.95 प्रति डॉलर पहुंच गया। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने कहा कि ऑयल की कीमतों को मुझ पर छोड़ दो, हमारे पास किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा तेल और गैस है।
बिटक्वॉइन अपने उच्चतम स्तर पर
ट्रंप की जीत के बाद बिटक्वॉइन की कीमतों में भी इजाफा देखा गया। यह अपने सर्वाधिक उच्चतम स्तर 75,011 डॉलर पर पहुंच गया। इन सबके अलावा अमेरिकी बॉन्ड की कीमतों में 4.45 प्रतिशत का इजाफा देखा गया।
ट्रंप की जीत का भारत पर असर
ट्रंप की नीतियां अमेरिका फर्स्ट वाली हैं। माना जा रहा है कि आयात पर ट्रंप, टैरिफ बढ़ा सकते हैं और इसका असर अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले सभी देशों पर देखने को मिल सकता है। डॉलर के मजबूत होने से भारत को खासतौर पर महंगाई का दबाव फेस करना पड़ सकता है। वहीं मार्केट से कैपिटल आउटफ्लो होने की भी आशंका है।
वहीं ट्रंप की कठोर प्रवासी नीति भारत की टेक इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि ये इंडस्ट्री भारत से स्किल्ड लेबर फ्री मूवमेंट पर आधारित है।
हालांकि ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत के साथ अच्छे रिश्ते देखने को मिले थे। चीन पर ट्रंप की नीतियां एशिया में ड्रैगन के प्रभाव को काउंटर बैलेंस करने वाली थी। पूर्व राष्ट्रपति ने चीन को अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया था। माना जा रहा है कि डिफेंस, टेक और निर्यात सेक्टर में भारतीय कंपनियों को अच्छा अवसर मिलेगा।