जानवरों पर भी नहीं करता कोई ऐसे प्रयोग! जुड़वां बच्चों को सुई-धागे से सिल डाला
Evil Experiments Part 1 : कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। दुनिया में ऐसे कई आविष्कार हुए, जिसके बदले इंसानों को अपनी जान तक की कीमत चुकानी पड़ी। लेकिन ये आविष्कार मानव हित में थे और जानबूझकर किसी को मौत के मुंह में नहीं धकेला गया। वहीं दूसरी ओर एक दौर ऐसा भी था जब प्रयोग के नाम पर इंसानों पर अत्याचार हुए। ऐसे-ऐसे अत्याचार जिनके बारे में जानकार आपकी रूह तक कांप जाएगी। इसमें जर्मनी, जापान, सोवियत संघ और अमेरिका भी शामिल था। आज हम आपको बता रहे हैं कि हिटलर की नाजी सेना ने जुड़वां बच्चों को लेकर कितने क्रूर प्रयोग किए थे।
जुड़वां बच्चों को सिल दिया जाता था
हिटलर की नाजी सेना का टॉचर्र किसी से छिपा नहीं है। हिटलर की नाजी सेना को सबसे क्रूर सेना माना जाता है। इसका कारण है कि इसने इंसानों को इंसान नहीं बल्कि जानवर समझा। माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजी सेना से इंसानों पर प्रयोग के नाम पर सबसे ज्यादा क्रूरता की।
हिटलर की नाजी सेना में जोसेफ मेंगेले नाम का एक फिजिशियन डॉक्टर था। साल 1943 से 44 के दौरान इस डॉक्टर ने जुड़वां लोगों, खासतौर से बच्चों पर ऐसे प्रयोग किए जिनके कारण उन्हें मौत के मुंह में जाना पड़ा। शायद इसी कारण इस डॉक्टर को 'The Angel of Death' कहा जाता है। नाजी हाई कमांड का मानना था कि जुड़वा में से एक शख्स को टेस्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है तो दूसरे को कंट्रोलर के रूप में। यानी एक की जिंदगी दूसरे के हाथ में होना। ज्यादातर ऐसे प्रयोग यहूदियों और रोम के नागरिकों पर होते थे।
नाजी डॉक्टर मेंगेले (बीच में)।
इस तरह के किए प्रयोग
- मेंगेले ने जुड़वां बच्चों पर टेस्ट की क्रूरता की सभी हदें पार कर दी थीं। उसने जुड़वां बच्चों के अंग निकाले, टाइफस जैसी बीमारी से जानबूझकर संक्रमित किया गया, एक जुड़वां का खून निकालकर दूसरे में चढ़ाना आदि शामिल था।
- इससे भी कहीं ज्यादा क्रूरता था कि वह जुड़वां बच्चों को आपसे में सिल देता था ताकि जुड़े हुए लोग बनाए जा सकें।
- मेंगेले की क्रूरता से बचे एक शख्स के मुताबिक मेंगेले विपरित लिंग वाले जुड़वां बच्चों के खून को आपस में बदलकर चढ़ाता था ताकि उनके लिंगों को भी बदला जा सके। साथ ही वह जुड़वां बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर तरह-तरह के प्रयोग करता था।
- इस शख्स के मुताबिक उस डॉक्टर ने 7 साल की एक बच्ची की पेशाब की नलियों को आपस में जोड़ दिया था।
ज्यादातर की हुई मौत
मेंगेले के इस प्रयोग में ज्यादातर जुड़वां बच्चों की मौत हो जाती थी। लेकिन जो बच जाते थे, उन्हें मार दिया जाता था और टेस्ट के लिए इस बॉडी का पोस्टमार्टम किया जाता था। बताया जाता है कि करीब 1500 जुड़वां लोगों पर प्रयोग किया गया, जिसमें करीब 200 ही किसी तरह वहां से बच निकले।
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