खेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस

1 ग्लास पानी पीने को तरस रहा था शख्स, विज्ञान के चमत्कार से 35 साल बाद बुझ पाई प्यास!

Gold Coast University Hospital News: नेविल को समस्या यह थी कि जब भी वह पानी का गिलास उठाते थे, उनका हाथ तेजी से कांपने लगता था। इतनी तेजी से कि पानी पीना मुश्किल हो जाता है। ऐसा मस्तिष्क में लगने वाले झटकों की वजह से होता था।
12:19 PM Jul 28, 2024 IST | News24 हिंदी
35 साल बाद गिलास से पानी पीने में सक्षम हो पाया ऑस्ट्रेलिया का ये मरीज
Advertisement

Gold Coast University Hospital News: हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि रोजमर्रा के काम कर पाने में शारीरिक रूप से सक्षम होना भी एक उपलब्धि है। हम बात करते हैं, चहलकदमी करते हैं और खाना खाते हैं। लेकिन हमें अंदाजा ही नहीं होता कि यह भी किसी उपलब्धि से कम नहीं है। जब तक कि हमें ये पता नहीं चलता कि कोई दूसरा व्यक्ति यह कर पाने में भी सक्षम नहीं है।

Advertisement

ये भी पढ़ेंः पहले आगजनी, फिर भारी बारिश और अब ब्लैकआउट… अव्यवस्थाओं के कारण चर्चा में है पेरिस

ऑस्ट्रेलिया की गोल्ड कोस्ट यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डॉक्टरों की कोशिश के बाद एक आदमी 35 बरस बाद गिलास से पानी पीने में सक्षम हो पाया है। इस मौके का इमोशनल मोमेंट अस्पताल ने कैप्चर कर लिया, जिसे शैनन फेंटीमैन ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया।

Advertisement

बिना चीर फाड़ वाली सर्जरी

ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी की सांसद और स्वास्थ्य मंत्री शैनन फेंटीमैन ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, 'नेविल 35 साल तक सामान्य तौर पर गिलास से पानी नहीं पाते थे। लेकिन गोल्ड कोस्ट यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों का शुक्रिया, जिन्होंने बिना चीर फाड़ वाली सर्जरी से नेविल का जीवन बदल दिया।'

ये भी पढ़ेंः वैज्ञानिकों ने इंप्लांट किया टाइटेनियम से बना दिल! कैसे करता है काम, कितना असरदार? जानें सब कुछ

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया का यह अस्पताल ब्रेन में लगने वाले झटकों की एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए बिना चीर फाड़ के सर्जरी करने वाला पहला सरकारी अस्पताल बन गया है। इस सर्जरी में एमआरआई टेक्नोलॉजी के जरिए मस्तिष्क के उस हिस्से की पहचान की जाती है जिसकी वजह से ब्रेन में डिसऑर्डर पैदा होता है। इसके बाद इलाज किया जाता है।

कैसे होता है इलाज

इलाज की प्रक्रिया में डॉक्टर मस्तिष्क की असामान्य गतिविधि को बाधित करते हैं। इससे डिसऑर्डर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। और मरीज को दिमाग में लगने वाले झटकों को मैनेज करने में मदद मिलती है।

नेविल ने एक्स अकाउंट पर अपना अनुभव शेयर करते हुए लिखा, 'एमआरआई के बाद जैसे ही मैं बाहर आया। उन लोगों ने मेरे सामने पानी का गिलास रख दिया। 35 साल तक मैं गिलास से पानी नहीं पी पाता था। लेकिन इस बार बिना कांपे पानी का गिलास उठा लिया। ये एक शानदार अनुभव था। डॉक्टरों, अस्पताल और सरकार का मेरी जिंदगी को बदलने के लिए शुक्रिया।

Advertisement
Tags :
health newsworld news
वेब स्टोरी
Advertisement
Advertisement